इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी पर विदेशी मीडिया क्या कह रहा है – प्रेस रिव्यू

432

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी के मुखिया इमरान ख़ान को मंगलवार इस्लामाबाद हाई कोर्ट के बाहर से पाकिस्तानी रेंजर्स ने गिरफ़्तार कर लिया.

इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई ने आरोप लगाया कि उनके नेता को ‘अग़वा’ कर लिया गया है.

 

इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी पर नैब ने बयान जारी करते हुए बताया है कि उन्हें नैब अध्यादेश और क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है.

पाकिस्तान की सियासी दुनिया का ये घटनाक्रम दुनियाभर के अख़बारों और वेबसाइटों की सुर्ख़ी बना है. प्रेस रिव्यू में आज यही जानेंगे कि पाकिस्तान के पूर्व पीएम की गिरफ़्तारी पर विदेशी मीडिया क्या कह रहा है.

‘पाकिस्तान को बांटने वाले शख़्स इमरान’

शुरुआत ‘द गार्डियन’ के विशेष लेख से करते हैं, जिसका शीर्षक ही ये है कि “कैसे इमरान ख़ान पाकिस्तान को बांटने वाले व्यक्ति बन गए.”

इस ख़बर के अनुसार, पाकिस्तान में इमरान ख़ान को अक़्सर सबसे अधिक विभाजनकारी शख़्स माना जाता है. हालांकि, कुछ लोगों की नज़र में क्रिकेटर से पीएम बनने वाले इमरान ख़ान वो सत्ता विरोधी चेहरा हैं जिसका पाकिस्तान लंबे समय से इंतज़ार कर रहा था.

ऐसे लोग भी हैं, जो ये मानते हैं कि इमरान ख़ान के कथित भ्रष्टाचार, अयोग्यता और पीएम पद से अपदस्थ होने के बाद से उन्होंने जो राजनीतिक रणनीति अपनाई है, उसी के कारण पाकिस्तान आज एक अभूतपूर्व राजनीति, आर्थिक और संवैधानिक संकट का सामना कर रहा है, जिससे देश में विभाजन बढ़ रहा है.

इस लेख में इमरान ख़ान की पार्टी के अंदर के लोगों के हवाले से बताया गया है कि कैसे वो पहले सेना के पसंदीदा राजनेता बने और साल 2018 में बेहद कम मार्जिन से उन्होंने आम चुनाव जीता. हालांकि, इमरान अपनी जीत में सेना की भूमिका को ख़ारिज करते रहे हैं.

इमरान ख़ान के कार्यकाल के पहले ही साल में सेना के जनरलों को सरकार के अहम महकमों का ज़िम्मा दिया गया, इस दौरान सेना का दबदबा बढ़ाने वाली रणनीतियां बनीं और मीडिया पर भी जम कर नियंत्रण रखा गया.

लेकिन 2021 आते-आते सेना और इमरान ख़ान के बीच की दूरियां खुल कर सामने आने लगीं.

इमरान ख़ान ने सेना पर उनकी सरकार को ब्लैकमेल करने के आरोप लगाए.

इमरान ख़ान की सरकार गिरी

इस बीच पाकिस्तान की गिरती अर्थव्यवस्था से सेना नाख़ुश थी. इसके बाद सेना ने चुपचाप इमरान की सरकार से समर्थन वापस लेना शुरू किया और ये सरकार कमज़ोर पड़ती गई.

इमरान ख़ान ने पहले असंवैधानिक तौर पर संसद भंग की और फिर मार्शल लॉ लगाने की भी चेतावनी दी. हालांकि, इन सबके बावजूद बीते साल अपने ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को वो जीतने में नाक़ामयाब रहे और उनकी सरकार गिर गई.

अपने भाषणों में इमरान ख़ान ने कई दफ़ा सेना पर पश्चिमी ताक़तों के साथ मिलकर उनकी सरकार गिराने की साज़िश रचने का आरोप लगाया है.

इमरान ख़ान पर अब भ्रष्टाचार और राजद्रोह से जुड़े दर्जनों केस दर्ज हैं. हालांकि,वो इन्हें राजनीति से प्रेरित मामले बताते हैं. इसी साल मार्च में अपने पड़ोसी के घर में छिपकर इमरान ख़ान गिरफ़्तारी से बचे थे.

आलोचक उन पर स्वार्थी हितों के लिए राजनीतिक उथल-पुथल करने का आरोप लगाते हैं. हालांकि, उनकी गिरफ़्तारी के फ़ौरन बाद सड़कों पर उनके हज़ारों समर्थकों के आने से ये साफ़ है कि इमरान ख़ान कितने लोकप्रिय नेता हैं.

इमरान ख़ान को क्यों किया गिरफ़्तार और उन पर कितने मुक़दमे दर्ज हैं

चीन के अख़बारों में क्या छपा है?

पाकिस्तान की सियासी उठापटक का ज़िक्र ग्लोबल टाइम्स पर ये प्रेस रिव्यू लिखे जाने तक नहीं दिखा.

हालांकि, हांग-कांग के अख़बार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इमरान की गिरफ़्तारी वाली ख़बर में ये भी बताया है कि पुलिस ने इमरान के समर्थकों पर आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें की हैं.

अख़बार ने बताया है कि इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद पाकिस्तान में जगह-जगह हिंसा भड़क गई है.

उनके दर्जनों समर्थकों ने उनके गृह ज़िले लाहौर की सड़कों को बंद कर दिया है. यहाँ पुलिस हाई अलर्ट पर है. प्रदर्शनकारियों ने कराची में भी मुख्य सड़कें जाम कर दी हैं.

इस ख़बर में साउथ एशिया सेंटर के डायरेक्टर माइकल कुगलमैन के हवाले से बताया गया है कि इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी संभवतः यह संकेत दे रही है कि पाकिस्तान की सेना की नज़र में इमरान ख़ान ने ‘हद पार कर दी है’.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी को सेना के साथ उनके टकराव बढ़ने से जोड़ा है.

अख़बार ने लिखा है कि ये गिरफ़्तारी पाकिस्तान को एक अजीबोग़रीब राजनीतिक स्थिति में ले आई है. पहले भी पाकिस्तान के नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है, लेकिन जैसे इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी हुई, वैसी कभी नहीं देखी गई.

सोशल मीडिया पर इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के शेयर हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे उन्हें जबरन अर्द्धसैनिक बलों के वाहन में बैठाया जा रहा है. उन्हें चारों ओर से सुरक्षाबलों ने घेरा हुआ है.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि इमरान ख़ान को एक यूनिवर्सिटी को ज़मीन ट्रांसफ़र करने से जुड़े आरोपों में गिरफ़्तार किया गया है.

पाकिस्तान में इंटरनेट बंद

‘अल-जज़ीरा’ के मुताबिक़ इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद भड़की हिंसा के मद्देनज़र पाकिस्तानी प्रशासन ने ट्विटर, फ़ेसबुक और बाकी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को बंद कर दिया है.

ग्लोबल इंटरनेट मॉनिटर के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पूरी तरह से इंटरनेट ठप है.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि पाकिस्तान के संचार विभाग के अधिकारियों ने ब्रिटेन स्थित मानवाधिकार समूह को बताया है कि नियामकों ने सोशल मीडिया ब्लॉक कर दिया है और इस्लामाबाद सहित कई अन्य शहरों में इंटरनेट पूरी तरह बंद है.

एमनेस्टी ने इस प्रतिबंध को फ़ौरन हटाने की मांग की है.

अल-जज़ीरा के अनुसार, पूर्व पाकिस्तानी पीएम को मंगलवार इस्लामाबाद हाई कोर्ट से घसीट कर ले जाया गया.

गिरफ़्तारी के बाद कुछ समर्थकों ने सेना पर गुस्सा निकाला और लाहौर में एक कोर कमांडर के घर पर धावा बोल दिया.

अगर इमरान ख़ान पर दोष साबित हो जाए और उन्हें सज़ा मिलती है तो वो सरकारी पद नहीं संभाल सकते और इस साल के आख़िर में होने वाले चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.

वहीं, टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट में मंगलवार रात हुई इस मामले की सुनवाई का ज़िक्र किया है.

कोर्ट ने ख़ान की गिरफ़्तारी को वैध बताते हुए ये कहा कि नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो यानी नैब ने पूर्व पीएम की गिरफ़्तारी से पहले सभी क़ानूनी प्रक्रिया का पालन किया है.

बिलावल की कश्मीर पर टिप्पणी से भारत ग़ुस्सा, क्या पाकिस्तान की सुनेगी दुनिया?

सेना के लिए चुनौती

अंग्रेज़ी अख़बार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस गिरफ़्तारी को इमरान ख़ान की छवि के लिए फ़ायदेमंद बताया है.

अख़बार लिखता है कि इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी पहले से तय थी. बीते साल पीएम पद से अपदस्थ किए जाने के बाद से उनकी बढ़ती लोकप्रियता के बीच सिर्फ़ सज़ा के ज़रिए उन्हें अयोग्य ठहराना ही चुनाव से इमरान को दूर रखने का एकमात्रा रास्ता था.

अख़बार के अनुसार, शहबाज़ शरीफ़ की अगुवाई वाली पाकिस्तान की मौजूदा सरकार को ये डर था कि अगर चुनाव हुए तो इमरान ख़ान दोबारा सत्ता में आ सकते हैं. ऐसा होने पर सबसे पहली गाज सेना प्रमुख जनरल मुनीर पर गिर सकती है.

ख़बर में ये भी कहा गया है कि इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद शुरू हुए हिंसक प्रदर्शन सेना के लिए चुनौती हैं.

सेना इन प्रदर्शनकारियोंसे कैसे निपटेगी, उससे ही अगला घटनाक्रम तय होगा. अभी तक सेना ने कोई बल प्रयोग नहीं किया है.

संभवतः सेना ये उम्मीद कर रही है कि एक बार भीड़ का गुस्सा शांत हो जाए तो लोग अपने घरों को लौट जाएंगे.

अख़बार ने ये भी लिखा है कि इमरान ख़ान के जेल में रहने के बाद पार्टी नेतृत्व सबसे बड़ी चुनौती है. इमरान ख़ान के बिना पीटीआई कुछ भी नहीं है. फ़िलहाल पार्टी इमरान ख़ान की बनाई एक समिति से संचालित होगी.

बिना नेतृत्व के भीड़ के नियंत्रण से बाहर जाने का ख़तरा भी बना हुआ है. जहाँ सेना को प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कड़े क़दम उठाने पड़ सकते हैं.

इंटरनेट पर रोक ने सेना की ओर से बल प्रयोग किए जाने के भय को हवा दी है.

ताज़ा संकट ने एक बार फिर से मार्शल लॉ का ज़िक्र भी छेड़ा है. हालांकि, देश पर गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति में सेना इस तरह के कठोर क़दम उठाने से बचना चाहेगी. मार्शल लॉ लगने के बाद आईएमएफ़ से क़र्ज़ मिलना अभी की तुलना में और कठिन हो जाएगा.

source bbc

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here