पटना पुलिस पर जमीन कब्जा कराने का आरोप: क्या अब जमीन का फैसला कोर्ट नहीं, थाने में होगा?

 

📍 स्थान: दीदारगंज थाना क्षेत्र, पटना

पटना के दीदारगंज थाना क्षेत्र में पुलिस पर जमीन कब्जा कराने के गंभीर आरोप लगे हैं। पीड़ित मुन्तुन साव और उनके परिवार का आरोप है कि पूर्व डिप्टी मेयर के बेटे पवन कुमार और मीना कुमारी ने दीदारगंज पुलिस की मदद से महावीर घाट के पास स्थित 52 कट्ठा पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया।

पीड़ित पक्ष का कहना है कि उन्होंने शनिवार को प्रदर्शन कर न्याय की मांग की। मुन्तुन साव और अन्य 12-13 भूस्वामियों ने बताया कि अचानक पवन कुमार ने जमीन पर दावा कर दिया और विरोध करने पर मारपीट की गई। आरोप है कि विपक्षी पक्ष गुंडों के साथ आया और जान से मारने की धमकी दी।

 जमीन के दस्तावेज और पुलिस की भूमिका
मुन्तुन साव के पास जमीन के सभी कागजात मौजूद हैं, जबकि पवन कुमार कोई वैध दस्तावेज नहीं दिखा पाए। इसके बावजूद पुलिस ने मुन्तुन और उनके बेटे को जबरन थाने ले जाकर 30 घंटे तक बैठाए रखा।

 रेप केस में फंसाने की धमकी
सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि पुलिसकर्मियों ने रेप केस में फंसाने की धमकी देकर एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करवाए। आरोप थाना अध्यक्ष रणवीर कुमार, मुंशी लाल देव और SI धनंजय सिंह पर लगे हैं।

 क्या कोर्ट का काम अब पुलिस कर रही है?
यह मामला गंभीर सवाल उठाता है—क्या जमीन पर कब्जे का विवाद सिविल कोर्ट द्वारा नहीं सुलझाया जाना चाहिए? क्या पुलिस का काम अब पक्षपात करते हुए किसी एक पक्ष को कब्जा दिलाना है? यदि पुलिस ही न्याय का निर्धारण करने लगे तो आम जनता कोर्ट क्यों जाए?

पटना SSP ने मामले की जांच ग्रामीण SP विक्रम सिन्हा को सौंपी है, जिन्हें 15 दिन में रिपोर्ट देनी है।

 

बिहार में जमीन विवाद एक आम समस्या है, लेकिन जब पुलिस पर ही कब्जा कराने का आरोप लगे तो यह कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। यदि पुलिस का काम दबाव, धमकी और दस्तावेज नजरअंदाज कर कब्जा दिलवाना बन जाए, तो न्याय की उम्मीद कहां से की जाए?

 

Bihar Desk
Author: Bihar Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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