भारत और चीन के बीच सीमा वार्ता: बीजिंग में डोभाल और वांग यी की बातचीत

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शिक्षा और रोजगार जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर छात्रों का आंदोलन इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। छात्रों का कहना है कि उन्हें बेहतर शिक्षा व्यवस्था, रोजगार के अवसर, और परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता चाहिए। ये मांगें हर छात्र के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन सवाल उठता है कि क्या इस आंदोलन से उनकी वास्तविक समस्याओं का समाधान होगा या यह भी केवल एक राजनीतिक खेल बनकर रह जाएगा।

भारत और चीन के बीच सीमा वार्ता: बीजिंग में डोभाल और वांग यी की बातचीत

भारत और चीन के बीच सीमा से जुड़े मुद्दों पर बुधवार को बीजिंग में विशेष प्रतिनिधि (एसआर) स्तर की वार्ता होगी। इस वार्ता में भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। चीन की तरफ से वार्ता का नेतृत्व चीन के विदेश मंत्री वांग यी करेंगे।

पांच साल बाद हो रही है वार्ता

यह विशेष प्रतिनिधि वार्ता लगभग पांच वर्षों के अंतराल के बाद हो रही है। इससे पहले दिसंबर 2019 में नई दिल्ली में ऐसी बैठक हुई थी। कोविड-19 महामारी और बढ़ते तनाव के चलते इस प्रक्रिया में रुकावट आ गई थी।

इस बातचीत का मुख्य उद्देश्य सीमा पर तनाव कम करना और दोनों देशों के बीच विवादित मुद्दों का ‘निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य’ समाधान तलाशना है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान दिया कि दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, दोनों देश यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि सीमा विवाद किसी बड़े संघर्ष का रूप न ले।

विवादों की पृष्ठभूमि

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। इस घटना में दोनों पक्षों को सैनिक हानि उठानी पड़ी थी। इसके बाद से कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार्ता दोनों देशों के बीच संवाद बढ़ाने का एक सकारात्मक कदम है। भारत-चीन के बीच करीब 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिस पर कई क्षेत्रों में विवाद है। दोनों देशों का उद्देश्य विवादित क्षेत्रों को लेकर एक ऐसा समाधान निकालना है, जिससे उनके संबंधों में सुधार हो सके। बीजिंग वार्ता ऐसे समय हो रही है, जब भारत जी-20 की अध्यक्षता कर चुका है और वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका को मजबूती से स्थापित कर रहा है। क्या हो सकता है नतीजा?

हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि यह वार्ता किसी ठोस नतीजे तक पहुंचेगी या नहीं, लेकिन इस प्रक्रिया से उम्मीदें जरूर बढ़ी हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर दोनों पक्ष सकारात्मक रुख अपनाते हैं, तो भविष्य में सीमा विवाद के समाधान की राह आसान हो सकती है।

यह वार्ता केवल सीमा विवाद सुलझाने का मंच नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का भी एक अवसर है। भारत और चीन जैसे शक्तिशाली देशों के बीच शांति न केवल एशिया बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है।

@tanvir

 

 

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