जेल से रंगदारी मांगता रहा कुख्यात डिडिया ईओयू अफसर को धमकी – STF ने भतीजे को दबोचा

Asian Times Bureau Report

हत्या के मामले में पहले से ही जेल में बंद कुख्यात अपराधी माजिद खान उर्फ डिडिया एक बार फिर चर्चा में है। इस बार उसने जेल के अंदर से ही ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) के एसडीपीओ सह अपर लोक अभियोजक मो. रिजवान से रंगदारी की मांग की है। उसने तीन बार फोन कर धमकी देते हुए कहा, “मुस्कान सैलून वाली दुकान दे दो, नहीं तो अंजाम बुरा होगा।”

डिडिया की यह हरकत सामने आने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। मो. रिजवान ने इसकी लिखित शिकायत पीरबहोर थाना में दर्ज कराई। शिकायत मिलते ही पटना पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर जांच शुरू की और डिडिया के भतीजे मो. अयान को गिरफ्तार कर लिया, जो कि दरियापुर फकीराबाड़ा मस्जिद के पास कुतुबउद्दीन लेने आया था।

भतीजे के पास से सिम और मोबाइल बरामद

अयान के पास से वही सिम कार्ड और मोबाइल फोन बरामद हुआ, जिससे डिडिया ने रंगदारी की धमकी दी थी। जांच में खुलासा हुआ कि जेल में बैठा डिडिया अपने भतीजे अयान को फोन करता था और अयान कॉनफ्रेंस कॉल के माध्यम से मो. रिजवान से बात करता था।

एसएसपी अवकाश कुमार ने कहा कि इस मामले में जेल प्रशासन से समन्वय कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। डिडिया से पूछताछ की जाएगी कि जेल के अंदर से वह मोबाइल और सिम तक कैसे पहुंचा।

अयान ने स्वीकार की संलिप्तता

पूछताछ में अयान ने पूरी घटना में अपनी संपूर्ण संलिप्तता स्वीकार कर ली है। उसने माना कि वह डिडिया के इशारे पर ही अधिकारियों से रंगदारी मांगता था।

गौरतलब है कि अक्टूबर 2024 में दरियापुर में ही एक होटल कारोबारी शकील मलिक की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय की जांच में भी सामने आया था कि डिडिया ने शकील से 20 लाख रुपये की रंगदारी मांगी थी।

इसी हत्याकांड में डिडिया फिलहाल जेल में बंद है। अब उसी के द्वारा जेल से धमकियां और रंगदारी की मांग ने कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

प्रशासनिक सवाल और सुरक्षा चिंताएं

एक बार फिर यह मामला बिहार की जेल व्यवस्था पर उंगलियां उठाता है —

जेल में बंद कैदी के पास मोबाइल और सिम कार्ड कैसे पहुंचे?

जेल प्रशासन की निगरानी में इतनी बड़ी चूक क्यों हुई? क्या जेल के अंदर से आपराधिक नेटवर्क अब भी सक्रिय हैं?

इन सवालों का जवाब जरूरी है, क्योंकि अगर जेल से ही अफसरों को धमकी मिलने लगे, तो आम नागरिक की सुरक्षा कितनी लचर होगी, यह सोचने का विषय है।

जेल सुरक्षा व्यवस्था में तकनीकी निगरानी की जाए। सभी हाई-प्रोफाइल बंदियों की संचार गतिविधियों की जांच हो।रंगदारी के मामलों में त्वरित सजा और कार्रवाई हो।

Asian Times ब्यूरो रिपोर्ट |

Tanvir Alam Sheikh

 

Bihar Desk
Author: Bihar Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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