गणतंत्र दिवस 2025: भारत के गौरव और राष्ट्रीय एकता का उत्सव

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गणतंत्र दिवस 2025: भारत के गौरव और राष्ट्रीय एकता का उत्सव

नई दिल्ली, 26 जनवरी:
आज पूरा भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। यह दिन भारतीय लोकतंत्र, संविधान और राष्ट्रीय एकता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपने संविधान को अपनाया और एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। इस दिन की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता हमें यह याद दिलाती है कि हमारी स्वतंत्रता और गणराज्य की स्थापना अनगिनत बलिदानों और संघर्षों का परिणाम है।

राजपथ पर विशेष परेड और झांकियां
दिल्ली के कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ) पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड इस दिन का मुख्य आकर्षण होती है। इस बार की परेड में भारत की सैन्य ताकत, सांस्कृतिक विविधता और विकास की झलक देखने को मिली। परेड में देश की तीनों सेनाओं ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। आधुनिक हथियारों और स्वदेशी तकनीक से लैस उपकरणों ने भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता को दर्शाया।

इस वर्ष परेड की थीम “सशक्त भारत, समृद्ध भारत” रही। विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों ने भारत की सांस्कृतिक विविधता, परंपराओं और उपलब्धियों का प्रदर्शन किया। झारखंड की आदिवासी संस्कृति, महाराष्ट्र के लोक नृत्य, और उत्तर प्रदेश की धार्मिक विरासत ने विशेष ध्यान आकर्षित किया।

महिलाओं की भागीदारी और नई उपलब्धियां
इस बार गणतंत्र दिवस परेड में महिलाओं की भागीदारी ने एक नई मिसाल पेश की। नौसेना की महिला अफसर ने पहली बार पूरी कमान संभाली। इसके अलावा, कई महिला सैनिक और पुलिसकर्मियों ने परेड का नेतृत्व किया। यह भारत में लैंगिक समानता की दिशा में हो रहे सकारात्मक बदलाव का संकेत है।

मुख्य अतिथि और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का प्रदर्शन
इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी थे। उनकी उपस्थिति ने भारत और मिस्र के बीच मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाया। यह दिन न केवल भारत के भीतर एकता और अखंडता का प्रतीक है, बल्कि विश्व मंच पर भारत की साख और नेतृत्व की भी झलक देता है।

संविधान और इसके आदर्शों की याद
गणतंत्र दिवस संविधान और इसके आदर्शों को याद करने का दिन है। डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा के अन्य सदस्यों के प्रयासों ने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया। भारतीय संविधान समानता, स्वतंत्रता और न्याय के आदर्शों को स्थापित करता है।

देशभर में समारोह और कार्यक्रम
दिल्ली की परेड के अलावा, देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी संस्थानों में गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित किए गए। बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर तिरंगा फहराया गया और राष्ट्रगान गाया गया।

प्रधानमंत्री का संबोधन और प्रेरणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने युवाओं से आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि आज का दिन न केवल जश्न मनाने का है, बल्कि आत्मचिंतन करने का भी है।

भारत की चुनौतियां और समाधान
गणतंत्र दिवस हमें अपनी उपलब्धियों पर गर्व करने का मौका देता है, लेकिन यह उन चुनौतियों की भी याद दिलाता है, जिनका हमें सामना करना है। सामाजिक असमानता, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार जैसे मुद्दे अभी भी प्रासंगिक हैं। प्रधानमंत्री ने इन समस्याओं का समाधान आत्मनिर्भरता, डिजिटल इंडिया, और सतत विकास के माध्यम से करने पर जोर दिया।

स्वच्छ भारत अभियान और हरित भारत की दिशा में प्रयास
गणतंत्र दिवस समारोह में स्वच्छ भारत अभियान और हरित भारत की दिशा में किए गए प्रयासों की भी झलक दिखी। कई झांकियों ने पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का संदेश दिया।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का स्थान
गणतंत्र दिवस न केवल भारत के भीतर एकता और अखंडता का प्रतीक है, बल्कि यह दुनिया को भारत की शक्ति और संभावनाओं का परिचय भी देता है। इस अवसर पर, भारत की बढ़ती वैश्विक साख, जी20 की अध्यक्षता और विकासशील देशों की आवाज बनने की उसकी भूमिका पर भी चर्चा हुई।

गणतंत्र दिवस हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का दिन है। यह दिन हमें संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाता है। जैसे-जैसे भारत 21वीं सदी में प्रगति कर रहा है, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजते हुए, आधुनिकता और विकास की ओर बढ़ें।

 

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