मथुरा। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव को लेकर मथुरा में तैयारियां जोरों पर हैं। वहीं मथुरा में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2022) का पर्व 1 दिन पहले हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण की पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है, जिसे कटरा केशव देव के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व क्यों 1 दिन पहले क्यों मनाया जाता है और क्या है मान्यता, आइए जानें…
कटरा केशव देव मंदिर के सेवायत पुजारी मुन्नी लाल गोस्वामी ने बताते हैं कि सप्तमी की मध्य रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इसलिए केशव देव मंदिर में सप्तमी की रात को ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाता है। साथ ही पुजारी का बोलना है कि इस बार केशव देव 24 अवतार के दर्शन होंगे। पुजारी का बोलना है कि मंदिर में सिर्फ दो बार 24 अवतार के दर्शन भक्तों को कराए जाते हैं। पहले दर्शन अक्षय तृतीया के दिन और दूसरे जन्माष्टमी के दिन।
200 किलो पंचामृत से भगवान का अभिषेक
मंदिर सेवायत का बोलना है कि इस बार जन्म उत्सव पर 200 किलो पंचामृत का अभिषेक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 51 किलो भूरा, 51 किलो गाय का दूध, 51 किलो दही, 1 किलो शहद और 1 किलो गाय के घी को मिलाकर इस बार पंचामृत तैयार किया जाएगा। मंदिर में भगवान का अभिषेक रात्रि 10 बजे प्रारम्भ होकर रात्रि 11 बजे तक समापन होगा।
आरती का समय
भगवान केशव देव मंदिर में रोजाना सुबह 05:30 बजे मंगला आरती होती है। वहीं राज भोग दोपहर 11 बजे और सायं आरती 7 बजे होती है।
ब्रज के 4 मंदिर हैं कृष्ण कालीन
पुजारी मुन्नी लाल गोस्वामी ने बताते हैं कि ब्रज में चार ऐसे मंदिर हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण कालीन समय के हैं। श्री कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ का पहला मंदिर, मथुरा कटरा केशव देव, दूसरा मंदिर वृंदावन गोविंद देव, तीसरा बलदेव मंदिर दाऊजी और चौथा मंदिर गोवर्धन हरदेव मंदिर के नाम से जाने जाते हैं।
जानिए कहां स्थित है केशव जी मंदिर?
भगवान केशव देव जी का मंदिर मथुरा रेलवे जंक्शन से 3 किलोमीटर की दूरी पर श्री कृष्ण जन्मस्थान के गेट नंबर 3 की तरफ बना हुआ है, जो की सबसे प्राचीन है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आप ट्रेन या बस से आ सकते हैं।