पटना के दीघा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई: जनता की प्रतिक्रिया और सरकार की योजना

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पटना के दीघा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई: जनता की प्रतिक्रिया और सरकार की योजना

पटना, बिहार – दीघा से कंगन घाट तक अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जिला प्रशासन और पटना नगर निगम (PMC) की संयुक्त टीम ने हाल ही में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया। हालांकि, यह अभियान स्थानीय निवासियों और व्यापारियों के लिए चिंता का कारण बन गया है, क्योंकि उनमें से कई दशकों से यहां रह रहे थे। जनता की प्रतिक्रिया: विरोध और कानूनी संघर्ष

1. बेघर होने का डर

दीघा क्षेत्र में रहने वाले हजारों लोग इस कार्रवाई से प्रभावित हो रहे हैं। कई परिवार पीढ़ियों से यहां रह रहे थे और उनका मानना है कि सरकार को उनकी दुर्दशा को ध्यान में रखना चाहिए।

राजेश कुमार, जो पिछले 25 वर्षों से दीघा में रह रहे हैं, ने कहा,

“हम यहां जन्मे और पले-बढ़े हैं। अब अचानक हमें कहा जा रहा है कि यह जमीन हमारी नहीं है। अगर हमारी जमीन अवैध थी, तो हमें पहले क्यों नहीं बताया गया?”

2. कानूनी लड़ाई का ऐलान

कई प्रभावित लोगों ने अदालत में याचिका दायर कर दी है। उनका तर्क है कि वे कई वर्षों से इस भूमि पर काबिज हैं और कुछ लोगों के पास तो सरकारी कागजात भी हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में पहले भी इस मामले पर सुनवाई हो चुकी है, लेकिन प्रशासन अब सख्त कार्रवाई करने पर अड़ा हुआ है।

अशोक यादव, जो स्थानीय व्यापार संघ के अध्यक्ष हैं, ने कहा, “हम सरकार के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। अगर हमें हटाया जा रहा है, तो सरकार को पहले हमें पुनर्वास देना चाहिए। हमारे पास छोटे-छोटे व्यवसाय हैं, अगर वे उजड़ गए तो हम क्या करेंगे?”

3. राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप विपक्षी दल इस मुद्दे को जनता के हक से जोड़ रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह गरीबों के खिलाफ कार्रवाई है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) का कहना है कि सरकार कानूनी तरीके से ही काम कर रही है और अवैध कब्जे किसी भी कीमत पर नहीं रहने दिए जाएंगे।

सरकार का पक्ष: अतिक्रमण हटाने की जरूरत क्यों? सरकार का तर्क है कि गंगा किनारे की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करना जरूरी है, क्योंकि:

1. यह भूमि सरकारी संपत्ति है – गंगा नदी के किनारे की भूमि पर अनधिकृत कब्जे बढ़ते जा रहे थे, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा था।

2. बाढ़ का खतरा – इन अवैध बस्तियों की वजह से बाढ़ आने पर पानी के बहाव में रुकावट पैदा होती थी।

3. सौंदर्यीकरण परियोजना – सरकार गंगा किनारे को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना चाहती है, जिससे पटना की सुंदरता बढ़ेगी।

पटना के जिला मजिस्ट्रेट ने कहा, “सरकार किसी भी गरीब के खिलाफ नहीं है, लेकिन सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो लोग वास्तव में पात्र होंगे, उन्हें पुनर्वास योजना का लाभ मिलेगा।”

सरकार की योजना: विस्थापितों के लिए क्या किया जाएगा? सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए पुनर्वास योजना बनाई है। इसके तहत:

1. वैकल्पिक आवास की पेशकश

अतिक्रमण हटाए गए लोगों को पटना के बाहरी इलाकों में फ्लैट या प्लॉट दिए जा सकते हैं।

सरकार गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर उपलब्ध कराने पर विचार कर रही है।

2. वित्तीय सहायता

जिनके पास वैध दस्तावेज होंगे, उन्हें सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाएगा।अतिक्रमित भूमि पर व्यावसायिक गतिविधि करने वाले लोगों के लिए सरकार नए स्थान पर दुकानें उपलब्ध करा सकती है।

3. रोजगार के नए अवसर

कुछ प्रभावित लोगों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में रोजगार दिया जाएगा।

गंगा किनारे टूरिज्म हब बनाने की योजना है, जिसमें स्थानीय लोगों को भी नौकरी मिल सकती है।

कौन पात्र होगा पुनर्वास के लिए?

सरकार ने कुछ शर्तें तय की हैं, जिनके आधार पर पुनर्वास मिलेगा:

1. वे लोग, जिनके पास 20 वर्षों से रहने का कोई प्रमाण होगा।

2. जो परिवार गरीबी रेखा से नीचे (BPL) आते हैं।

3. जिनका मकान पटना नगर निगम या अन्य सरकारी संस्थाओं से स्वीकृत था।

हालांकि, जिनका कब्जा हाल ही में हुआ है या जिनके पास कोई वैध कागजात नहीं हैं, उन्हें पुनर्वास योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

अतिक्रमण हटाने के सामाजिक प्रभाव

1. गरीबों पर सीधा असर

बड़ी संख्या में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार इससे प्रभावित हो सकते हैं। बेघर होने का डर इन लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन रहा है।

2. पटना की सूरत बदलेगी

यदि सरकार की योजना सफल होती है, तो पटना का गंगा किनारा खूबसूरत बन सकता है, जिससे पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

3. अवैध निर्माणों पर सख्ती

इस कार्रवाई के बाद भविष्य में लोग अवैध रूप से सरकारी जमीन पर कब्जा करने से पहले कई बार सोचेंगे।

पटना के दीघा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई एक बड़ी चुनौती बन गई है। प्रशासन इसे सख्ती से लागू करने पर अड़ा है, वहीं स्थानीय लोग इसे अन्यायपूर्ण मान रहे हैं। सरकार यदि पुनर्वास की योजना को सही से लागू करे, तो इससे जनता को राहत मिल सकती है।

अभी भी इस मामले पर कानूनी लड़ाई जारी है, और आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सरकार किस तरह संतुलन बनाकर इस समस्या का समाधान करती है।

@tanvir alam sheikh

 

 

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