स्कॉलरशिप, ड्रेस, साइकिल जैसी योजनाएं बिहार सरकार द्वारा गरीब और जरूरतमंद छात्रों के लिए शुरू की गई थीं, ताकि शिक्षा को प्रोत्साहन मिले और अधिक बच्चे स्कूल में नामांकित हों। इन योजनाओं में विशेष रूप से मुख्यमंत्री बालक-बालिका साइकिल योजना, ड्रेस योजना, और पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना शामिल थीं।

योजना की शुरुआत

1. साइकिल योजना शुरुआत: 2006-07 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह योजना शुरू की थी। उद्देश्य: गरीब परिवारों के बच्चों, खासकर लड़कियों को स्कूल तक पहुंचने में सुविधा देना।

2. ड्रेस योजना बच्चों को मुफ्त स्कूल ड्रेस मुहैया कराने के लिए यह योजना चलाई गई थी। स्कूल छोड़ने वालों की संख्या कम करने का लक्ष्य।

3. स्कॉलरशिप योजना पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप का उद्देश्य गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देना था। बिहार में जिम्मेदारी:  इन योजनाओं की देखरेख शिक्षा विभाग, बिहार सरकार द्वारा की जाती है। शिक्षा विभाग के साथ जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) और प्रखंड स्तर पर अधिकारी इन योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं। समस्या और अनियमितता: हालिया रिपोर्ट में बताया गया कि इन योजनाओं में कई जगह फर्जी लाभार्थियों के नाम पर धनराशि निकाली गई। कौन जिम्मेदार?
शिक्षा विभाग के अधिकारियों, स्कूल प्रबंधन समितियों (SMC), और स्थानीय प्रशासन पर निगरानी में कमी का आरोप है।फर्जी दस्तावेज और भौतिक सत्यापन की कमी इसका मुख्य कारण मानी जा रही है। सरकार को इन योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ाने और अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की स्कॉलरशिप, ड्रेस, साइकिल जैसी योजनाओं का फायदा लेने के लिए लोग गलत तरीके अपना रहे हैं, जिससे सरकार को लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

@tanvir

 

Noida Desk
Author: Noida Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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