पड़ोसी देश यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पूरी दुनिया पर महंगाई का संकट मंडराने लगा है। रूस द्वारा यूक्रेन में सैन्य अभियान शुरू करने के बाद वैश्विक कच्चे तेल में 100 डॉलर का उछाल आया है।
लगभग आठ साल बाद कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर के पार गए हैं। ऐसे में तमाम देश अपनी-अपनी रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं।
सीएनबीसी टीवी18 की रिपोर्ट के अनुसार, माना जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय ने मौजूदा उत्पाद शुल्क स्तरों का आकलन करने के लिए वित्त मंत्रालय को अवगत करा दिया है। वित्त मंत्रालय इस बात का आकलन कर रहा है कि वह बढ़ते उत्पाद शुल्क को किस हद तक झेल सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि कच्चे तेल के बढ़ते दामों के बीच भारत सरकार पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने पर विचार कर सकती है।
एक सरकारी सूत्र ने समाचार एजेंसी रायटर्स को बताया कि रूस-यूक्रेन संकट के आर्थिक प्रभाव और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के प्रभाव को कम करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरुवार शाम को वित्त मंत्री और अन्य प्रमुख अधिकारियों से मिलने की संभावना है। हालांकि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने को लेकर अभी तक आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है।
इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के मामले से अवगत है और एफएसडीसी की बैठक के दौरान भारत की वित्तीय स्थिरता के लिए एक चुनौती के रूप में इस पर चर्चा की थी। स्थानीय ईंधन की कीमतें पिछले साल 4 नवंबर से स्थिर बनी हुई हैं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीजल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये और पेट्रोल पर 5 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की थी।
केंद्र के इस कदम के बाद, कई राज्यों ने ईंधन की कीमतों पर मूल्य वर्धित कर (वैट) को कम करने की भी घोषणा की। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत रिकॉर्ड उच्च स्तर पर चढ़ने के साथ, तेल मार्केटिंग कंपनियां जल्द ही ईंधन की कीमतों में संशोधन कर सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना था कि भारत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद मार्च की शुरुआत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिलेगा।
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