भारत में जितने भी खतरनाक सीरियल किलर हुए हैं उनमे गौरीशंकर उर्फ़ ऑटोशंकर का नाम भी आता है। उसने एक समय अपने आतंक से पुरे तमिलनाडु को थर्रा दिया था। 1955 में तमिलनाडु के वेल्लूर में जन्मा गौरी शंकर जब बड़ा हुआ तो रोजगार की तलाश में चेन्नई पहुंचा और पेंटिंग का काम करने लगा।1980 के बीच के सालों में गौरी शंकर ऑटो चलाने लगा साथ-साथ शराब तस्करी करता और वेश्याओं को लाने-ले जाने का काम भी करता था।
कुछ ही दिनों में ऑटो शंकर ने सेक्स रैकेट को मुख्य धंधा बना लिया। साल 1987 में उसके सेक्स रैकेट में शामिल ललिता नाम की लड़की अपने साथी के साथ भाग गई।शंकर ने उन दोनों को ढूंढ में निकाला और ललिता की हत्या कर जमीन में दफना दिया जबकि उसके साथी को जिंदा जला उसकी अस्थियों को समंदर में फेंक दिया।इसके बाद उस साल तीन और लोगों को मारकर पेरियार नगर में दफना दिया। साल 1988 में हड़कंप तब मचा जब शहर में 9 लड़कियों के गायब होने की बात सामने आई। इसमें परिजनों ने शंकर के रैकेट पर संदेह जताया था।
सी बीच, ऑटो शंकर ने शुभलक्ष्मी नाम की लड़की को अगवा करने की कोशिश की लेकिन वह बच निकली। फिर सीधे पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करा दी। पुलिस ने ऑटोशंकर को गिरफ्तार कर लिया गया और उसने भी अपने जुर्म कबूल कर लिए। इसके बाद ऑटो शंकर की की निशानदेही पर लाशें निकलनी शुरू हुई।फिर गिरफ्तार ऑटो शंकर को मद्रास सेंट्रल जेल भेज दिया गया, जहां से 1990 में कुछ दिनों बाद वह भाग निकला। हालांकि, बाद में उसे ओडिशा के राउरकेला से पकड़ा गया और जेल भेज दिया गया।कुछ समय बाद कोर्ट ने खूंखार ऑटो शंकर को 6 कत्ल के मामले में साले एल्डिन और शिवाजी के साथ 31 मई 1991 को मौत की सजा सुनाई। बाद में, 27 अप्रैल, 1995 को सालेम सेंट्रल जेल में ऑटो शंकर उर्फ गौरी शंकर को फांसी दे दी गई थी।