
महाकुंभ 2025 के दौरान हुई भगदड़ पर बागेश्वर धाम के प्रमुख, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने संत सम्मेलन में बयान दिया है। उन्होंने कहा, “गंगा के किनारे कोई मरेगा तो वो मरेगा नहीं, मोक्ष पाएगा। यह महाप्रयाग है। मृत्यु तो सबकी निश्चित है। एक दिन सभी को मरना है। अगर कोई गंगा के किनारे मरेगा तो उसे मृत्यु नहीं, मोक्ष मिलेगी।” उन्होंने हनुमान जी से प्रार्थना करते हुए कहा कि इस घटना पर राजनीतिक बयानबाजी करने वालों को सद्बुद्धि दें। लाशों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। शव और शिव पर कभी राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं से सतर्क और अनुशासित रहने की अपील भी की।
घटना का विवरण:
महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में हुआ। इस दौरान एक भगदड़ की घटना घटी, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान गई और अनेक घायल हुए। हालांकि, सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन ऐसी घटनाओं में जान-माल का नुकसान होता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं:
भगदड़ की घटना के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ नेताओं ने प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए, जबकि अन्य ने घटना को धार्मिक आस्था से जोड़कर देखा। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ऐसे नेताओं से अपील की कि वे इस दुखद घटना पर राजनीति न करें और इसे आस्था के दृष्टिकोण से समझें।
महाकुंभ 2025 का बजट और खर्च:
महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने लगभग 2500 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था। इसमें 150 परियोजनाओं पर काम किया गया, जिसमें प्रयागराज के समेकित विकास, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के लिए 103 करोड़ रुपये, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के आवासीय कॉलोनी के लिए 150 करोड़ रुपये, और संगम क्षेत्र में भजन संध्या स्थल के निर्माण के लिए एक करोड़ रुपये शामिल थे।
इसके अतिरिक्त, योगी सरकार ने महाकुंभ 2025 को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये बिजली व्यवस्था पर खर्च करने का निर्णय लिया था। इसमें 67,000 से अधिक स्ट्रीट लाइट्स, 109 डीजी सेट्स, और 11 केवी के 15 रिंग मेन यूनिट्स की स्थापना शामिल थी।
केंद्र सरकार ने भी महाकुंभ के लिए 2100 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान पैकेज स्वीकृत किया था, जिसमें से पहली किस्त के रूप में 1050 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। इस धनराशि का उपयोग मेला क्षेत्र में अवस्थापना सुविधाओं के विकास और विस्तार के लिए किया गया।
चंदा और अन्य स्रोत:
महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में सरकारी बजट के अलावा, विभिन्न धार्मिक संस्थाओं, निजी संगठनों, और श्रद्धालुओं से भी चंदा एकत्रित किया जाता है। हालांकि, उपलब्ध स्रोतों में चंदे की सटीक राशि का विवरण नहीं है। ऐसे आयोजनों में चंदा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो विभिन्न सेवाओं और सुविधाओं के प्रबंधन में सहायक होता है।
महाकुंभ 2025 के दौरान हुई भगदड़ एक दुखद घटना थी, जिसमें कई श्रद्धालुओं की जान गई। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस घटना पर राजनीतिक बयानबाजी से बचने की अपील की और इसे आस्था के दृष्टिकोण से देखने का आग्रह किया। सरकार ने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए बड़े पैमाने पर बजट आवंटित किया था, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ अन्य स्रोतों से भी धनराशि शामिल थी। हालांकि, ऐसी घटनाओं से बचने के लिए भविष्य में और भी सख्त सुरक्षा और प्रबंधन उपायों की आवश्यकता है।
@tanvir alam sheikh