राजधानी पटना में आज एक ब्लैकआउट मॉक ड्रिल आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य था — बिजली गुल होने की आपात स्थिति में प्रशासन, अस्पताल, पुलिस और अन्य जरूरी सेवाओं की तैयारी की जांच करना।
क्या था मॉक ड्रिल का उद्देश्य?
इस अभ्यास का मकसद यह था कि अगर किसी कारणवश पूरे शहर में बिजली चली जाए (जैसे साइबर हमला, ग्रिड फेल्योर या प्राकृतिक आपदा), तो:
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अस्पतालों में जनरेटर कैसे काम करेंगे?
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ट्रैफिक सिग्नल बंद होने पर यातायात पुलिस की व्यवस्था कैसी होगी?
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फायर ब्रिगेड, पानी, मोबाइल नेटवर्क और सुरक्षा व्यवस्था पर क्या असर होगा?
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पब्लिक कम्युनिकेशन सिस्टम कितनी जल्दी एक्टिव होगा?
कब और कैसे हुआ आयोजन?
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समय: दोपहर 12:00 बजे से 1:00 बजे तक
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क्षेत्र: सचिवालय, PMCH, गांधी मैदान, रेलवे स्टेशन, और बेली रोड समेत कई हिस्सों में बिजली आपूर्ति जानबूझकर रोकी गई।
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सुरक्षा बल, NDRF, स्वास्थ्य विभाग और आपदा प्रबंधन विभाग इसमें शामिल थे।
जनता को पहले से दी गई थी जानकारी
जिला प्रशासन ने मॉक ड्रिल से पहले लोकल मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए जानकारी साझा की थी ताकि अफवाहें न फैलें और लोग घबराएं नहीं।
प्रशासन का बयान
DM पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने कहा:
“इस तरह की ड्रिल ज़रूरी हैं ताकि अगर भविष्य में कोई वास्तविक आपातकाल आ जाए, तो हमारा सिस्टम पूरी तरह से तैयार रहे। आज के अभ्यास में कई सकारात्मक और सुधार योग्य बिंदु सामने आए हैं।”
जनता की प्रतिक्रिया
कुछ इलाकों में ड्रिल के दौरान थोड़ी असुविधा ज़रूर हुई, जैसे ATM बंद होना और नेटवर्क रुकावटें, लेकिन अधिकांश लोगों ने इसे सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारी का अहम हिस्सा माना।
पटना में आयोजित यह ब्लैकआउट मॉक ड्रिल
आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए एक महत्पूर्ण और समयानुकूल अभ्यास साबित हुआ। ऐसे प्रयासों से न सिर्फ प्रशासन की तैयारी की परीक्षा होती है, बल्कि आम जनता में भी जागरूकता आती है।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)