नगर निकाय चुनाव कैंसिल होते ही, अनीता देवी ने दिया जनता को ये मैसेज..

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नगर निकाय चुनाव कैंसिल होते ही- अनीता देवी ने दिया जनता को ये मैसेज..

बिहार में नगर निकाय चुनाव कैंसिल होने के साथ ही हर तरफ होने वाला चुनावी शोर शराबा थम चूका है. उम्मीदवारों की प्रचार गाड़ियां अब सड़क पर नजर नहीं आ रही है. ना ही उनका जनसंपर्क अभियान ही देखने को मिल रहा है. चुनावी अभियान के लिए उम्मीदवारों की तरफ से जो दफ्तर खोले गए थे उनमें भी ताला लटक चुका है. नगर निकाय चुनाव के उम्मीदवारों का हाल दूल्हे के जैसा हो गया है जो बगैर दुल्हन के वापस अपने घर लौट आए.

दरअसल बिहार के नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर पेंच फंसा है.. नगर निकाय चुनाव कैंसिल होते ही  निवर्तमान पार्षद वार्ड 22 की अनीता देवी ने दिया जनता को ये मैसेज कहा- जनता जनार्दन को चरण वंदन करती हूँ और उन्होंने बताया कि पटना नगर निगम सहित बिहार के सभी निकायों के चुनाव अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया है और जनता से  आशीर्वाद मांगते हुए कहा -मैं अपने तमाम देवतुल्य जनता जनार्दन का आभार प्रकट करती हूँ जो आपका आपार समर्थन और आशीर्वाद मिला आशा करती हूँ आपका प्यार आशीर्वाद और समर्थन इसी प्रकार आगे भी बना रहेगा।
क्या हैं पूरी बात

दरअसल, हाईकोर्ट ने फिर से अधिसूचना के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद 10 और 20 अक्टूबर का चुनाव स्थगित कर दिया गया है। कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था पर टिप्पणी की थी।  पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को बिहार में चल रहे नगर निकाय चुनाव पर रोक लगा दिय। हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश का पालन नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में ही स्पष्ट किया था कि किसी भी स्थानीय निकाय चुनाव में पिछडे वर्ग को आऱक्षण से पहले सरकार ट्रिपल टेस्ट कराये और उसके आधार पर चुनाव कराये।

पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा नहीं कर लेती है. साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट में मानक तय कर दिए थे. आरोप है कि बिहार सरकार ने  सुप्रीम कोर्ट के मानकों को पूरा नहीं किया और नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी गई. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि इस संबंध में एक मामला पहले से ही पटना हाईकोर्ट में लंबित है. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि बिहार में नगर निकाय चुनाव की पहला फेज 10 अक्टूबर को है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने फैसले में कहा गया था कि स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार पहले एक विशेष आयोग का गठन सुनिश्चित करे. सरकार द्वारा गठित आयोग इस बात का अध्ययन  करे कि कौन सा वर्ग वाकई  में पिछड़ा है. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही उन्हें आरक्षण देना तय किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राज्य सरकारें इन शर्तो को पूरा नहीं करती, तब तक अगर किसी राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव होता है तो पिछड़े वर्ग के लिए रिजर्व सीट को भी सामान्य ही माना जाए.

 

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