एशियन टाइम्स ब्यूरो रिपोर्ट | दार्जिलिंग
पश्चिम बंगाल के पहाड़ी इलाके दार्जिलिंग और उसके आसपास के क्षेत्रों में बीते दिनों हुई भारी बारिश और भूस्खलन (Landslide) ने भारी तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा में कई लोगों की जान गई है, जबकि सैकड़ों घर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। सड़कों के टूट जाने और बिजली व संचार व्यवस्था ठप होने से स्थानीय लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
आज केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मिरिक (दार्जिलिंग) पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी NDRF और SSP की टीमों की सराहना करते हुए कहा —
> “सब जानते हैं कि यहां बहुत भारी नुकसान हुआ है। जान-माल का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। दार्जिलिंग के जिन लोगों ने अपने परिवार और मकान खोए हैं, उन्हें जल्द से जल्द मदद पहुंचाना हमारी प्राथमिकता है। केंद्रीय बलों ने अच्छा काम किया है। NDRF और SSP की टीमें भी तुरंत मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य में सक्रिय रहीं।”
उन्होंने यह भी बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दो दिन के दौरे पर आए हैं ताकि खुद मौके पर जाकर प्रभावित परिवारों से मिल सकें और केंद्र सरकार की ओर से राहत कार्यों की निगरानी कर सकें।
केंद्रीय मंत्री का बयान:
> “प्रधानमंत्री मोदी जी ने मुझे व्यक्तिगत रूप से निर्देश दिया है कि यहां की स्थिति का पूर्ण मूल्यांकन किया जाए और केंद्र सरकार की हर संभव मदद दी जाए। जिन परिवारों ने सब कुछ खो दिया है, उनके पुनर्वास के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है।”
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण दार्जिलिंग और मिरिक के कई पहाड़ी रास्ते अवरुद्ध हैं।
सड़क संपर्क टूट जाने से कई गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाने में कठिनाई हो रही है।
NDRF, सेना और स्थानीय पुलिस बल लगातार मलबा हटाने, फंसे लोगों को निकालने और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में जुटे हैं।
अब तक 50 से अधिक परिवारों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है।
केंद्र सरकार ने तत्काल राहत कोष से सहायता राशि जारी की है।
राज्य प्रशासन को खाद्य सामग्री, दवाइयां और अस्थायी आश्रय शिविर स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य टीमें प्रभावित क्षेत्रों में भेजी गई हैं ताकि किसी प्रकार की महामारी या संक्रमण को रोका जा सके।
मिरिक और दार्जिलिंग की कई जगहों पर सड़कें पूरी तरह ध्वस्त हैं, पेड़ गिरे हुए हैं और कई घर मलबे में दबे पड़े हैं। स्थानीय लोग अपने स्तर पर भी एक-दूसरे की मदद कर रहे
Author: Noida Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)








