NIA के मामलों की सुनवाई के लिए बने विशेष कोर्ट, नहीं तो ज़मानत देनी पड़ेगी: सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी

एशियन टाइम्स विशेष रिपोर्ट

प्रकाशन तिथि: 18 जुलाई 2025

नई दिल्ली ब्यूरो

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और राज्य सरकारों को सख्त लहजे में कहा है कि NIA (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट और अलग इन्फ्रास्ट्रक्चर जल्द से जल्द स्थापित करें। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि ऐसा नहीं किया गया, तो लंबित मामलों की वजह से अदालतों को आरोपियों को जमानत देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जयंती बागची की बेंच ने कहा कि ट्रायल में देरी के कारण कई आरोपी वर्षों से जेल में बंद हैं, जबकि अभी तक मुकदमे की सुनवाई शुरू ही नहीं हुई। कोर्ट ने इसे अनुच्छेद 21 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता) का सीधा उल्लंघन बताया।

सुप्रीम कोर्ट की

“जब एक व्यक्ति सालों से जेल में है और मुकदमा शुरू नहीं हुआ, तब ज़मानत देना या न देना, सीधे तौर पर संविधान के अनुच्छेद 21 के उल्लंघन की स्थिति बन जाती है।”

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए केंद्र और राज्यों से पूछा कि NIA की चार्जशीट दायर होने के बाद वर्षों तक ट्रायल क्यों नहीं शुरू होता? कोर्ट ने विशेष रूप से NIA और UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) जैसे मामलों में तेजी से सुनवाई के लिए अलग से अदालतों की आवश्यकता पर बल दिया।

टॉयलेट और बुनियादी सुविधाओं पर भी कोर्ट की चिंता:

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों और अदालतों की टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाओं की भी गंभीर स्थिति पर सख्त टिप्पणी की। अदालत ने 16 जुलाई को कहा:

“देश की 25 में से 20 हाईकोर्ट ने अब तक यह नहीं बताया कि उन्होंने टॉयलेट की सुविधा सुधारने के लिए क्या कदम उठाए हैं।”

15 जनवरी 2025 के आदेश की याद दिलाई:

कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को 15 जनवरी 2025 को दिए गए आदेश की भी याद दिलाई, जिसमें सभी अदालतों में पुरुष, महिला, दिव्यांग और ट्रांसजेंडर के लिए अलग-अलग शौचालय निर्माण का निर्देश दिया गया था।

यह आदेश स्वच्छता और गरिमा के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार बताते हुए दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट का यह रुख साफ संकेत देता है कि अब ट्रायल में देरी और बुनियादी सुविधाओं की कमी को अदालतें बर्दाश्त नहीं करेंगी। NIA और UAPA जैसे गंभीर मामलों में जल्द सुनवाई और आरोपी के मौलिक अधिकारों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

रिपोर्टर: एशियन टाइम्स डेस्क

स्रोत: सुप्रीम कोर्ट कार्यवाही

 

Bihar Desk
Author: Bihar Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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