कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के जेल इंटरव्यू मामले में पंजाब पुलिस की बड़ी कार्रवाई

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लॉरेंस बिश्नोई का विवादित इंटरव्यू मार्च 2023 में प्रसारित हुआ था। यह इंटरव्यू वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुआ, जब बिश्नोई को सीआईए खरड़ की हिरासत में रखा गया था। उस समय गुरशेर सिंह संधू डीएसपी (इन्वेस्टिगेशन) के पद पर थे। रिपोर्ट @Tanvir Alam Sheikh

कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के जेल इंटरव्यू मामले में पंजाब पुलिस की बड़ी कार्रवाई

पंजाब पुलिस ने कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के जेल से हुए इंटरव्यू मामले में सख्त कदम उठाते हुए डीएसपी (इन्वेस्टिगेशन) गुरशेर सिंह संधू को बर्खास्त कर दिया है। गृह विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि गुरशेर सिंह संधू की लापरवाही और दुर्व्यवहार ने पंजाब पुलिस की छवि को गंभीर रूप से धूमिल किया।

यह कार्रवाई पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों के बाद की गई है, जिसमें पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया था। यह मामला तब प्रकाश में आया जब बिश्नोई का इंटरव्यू मार्च 2023 में प्रसारित हुआ, जबकि वह 3-4 सितंबर 2022 को सीआईए खरड़ की हिरासत में था।

डीएसपी गुरशेर सिंह संधू: सेवा से बर्खास्तगी तक का सफर बीएसएफ से पंजाब पुलिस तक का सफर

गुरशेर सिंह संधू, जो मूल रूप से जालंधर के रहने वाले हैं, पहले बीएसएफ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर तैनात थे। 2016 में उन्होंने बीएसएफ की नौकरी छोड़कर पंजाब पुलिस में डीएसपी के पद पर चयनित हुए। 2017 में पीपीएस (पंजाब पुलिस सेवा) की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें मोहाली में परिवीक्षाधीन अधिकारी के रूप में तैनात किया गया।

कार्यशैली और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में पहचान

गुरशेर सिंह अपनी तेज-तर्रार कार्यशैली और साहसिक फैसलों के लिए पहचाने जाते थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण एनकाउंटर किए, जिसके कारण उनकी छवि एक “एनकाउंटर स्पेशलिस्ट” के रूप में बनी। फतेहगढ़ साहिब जिले में डीएसपी (अमलोह) के रूप में सेवा देने के दौरान उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई।

लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामला: कब और कैसे हुआ विवाद?

इंटरव्यू का प्रसारण

लॉरेंस बिश्नोई का विवादित इंटरव्यू मार्च 2023 में प्रसारित हुआ था। यह इंटरव्यू वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुआ, जब बिश्नोई को सीआईए खरड़ की हिरासत में रखा गया था। उस समय गुरशेर सिंह संधू डीएसपी (इन्वेस्टिगेशन) के पद पर थे।

हाईकोर्ट की कार्रवाई

मामला सामने आने के बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई और पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एसआईटी (विशेष जांच टीम) गठित की। एसआईटी की अध्यक्षता विशेष डीजीपी (मानवाधिकार) प्रमोद कुमार ने की। जांच में यह पाया गया कि लॉरेंस बिश्नोई के इंटरव्यू के दौरान कई पुलिस अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरती।

गुरशेर सिंह संधू की बर्खास्तगी: बड़ी कार्रवाई के संकेत

आधिकारिक बयान

गृह विभाग ने आदेश में कहा कि डीएसपी गुरशेर सिंह संधू ने अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया। उनके कृत्य ने पंजाब पुलिस के अनुशासन और आचरण नियमों का उल्लंघन किया। इस वजह से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।

चार्जशीट की प्रक्रिया

गुरशेर सिंह संधू को पहले निलंबित किया गया था, लेकिन उन्होंने चार्जशीट स्वीकार नहीं की। इसके बाद चार्जशीट को उनके घर पर चस्पा किया गया।

विशेष जांच टीम (एसआईटी) की सिफारिशें

एसआईटी ने जांच में पाया कि इंटरव्यू के दौरान पुलिस अधिकारियों की बड़ी चूक हुई थी। गुरशेर सिंह की सेवा समाप्त करने की सिफारिश भी एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर ही की गई।

जांच का उद्देश्य एसआईटी का मुख्य उद्देश्य यह था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, जो पुलिस की छवि को नुकसान पहुंचा सकें।

लॉरेंस बिश्नोई: गैंगस्टर से सुर्खियों तक का सफर

लॉरेंस बिश्नोई भारतीय आपराधिक जगत का एक जाना-पहचाना नाम है। वह विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है, जिनमें हत्या, रंगदारी और गैंगवार प्रमुख हैं।

वीडियो के माध्यम से धमकी

बिश्नोई ने अपने इंटरव्यू में खुले तौर पर अपनी आपराधिक गतिविधियों को स्वीकार किया था और कई विवादास्पद बयान दिए थे। यह इंटरव्यू सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर वायरल हो गया था।

पंजाब पुलिस की छवि पर असर

पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती

इस प्रकरण ने पंजाब पुलिस की छवि को काफी प्रभावित किया। एक ओर जहां पुलिस अपने साहसिक अभियानों के लिए जानी जाती है, वहीं दूसरी ओर इस घटना ने उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए।

अनुशासनहीनता पर सख्त रुख गुरशेर सिंह की बर्खास्तगी से यह संदेश गया कि पुलिस प्रशासन अपने अधिकारियों की अनुशासनहीनता को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा।

भविष्य के लिए सबक पुलिस सुधार की आवश्यकता

इस घटना ने यह भी उजागर किया कि पुलिस अधिकारियों के प्रशिक्षण और जवाबदेही को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।

कानूनी प्रक्रिया का पालन

लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टर के मामलों में कानूनी प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए, ताकि पुलिस और न्याय प्रणाली की साख बनी रहे।

गुरशेर सिंह संधू की बर्खास्तगी पंजाब पुलिस की सख्त प्रशासनिक कार्रवाई का उदाहरण है। यह घटना न केवल पुलिस अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

@tanvir sheikh

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