चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर पांच प्रतिशत से कुछ नीचे रह सकती है। एक रिपोर्ट में यह आशंका व्यक्त की गई है।
आईएचएस मार्किट की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए किए गए उपायों का असर दिखने में कुछ समय लग सकता है। उसने कहा, सरकारी बैंकों के बही खाते पर गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) के बोझ का स्तर अधिक है, जिससे ऋण देने की उनकी क्षमता प्रभावित हो रही है। वित्तीय क्षेत्र की कमजोरी का देश की आर्थिक वृद्धि दर पर दबाव दिखता रहेगा। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत के छह साल के निचले स्तर पर आ गई है।