फिल्ममेकर करण जौहर ने हाल ही में अपने बचपन से जुड़ा एक इमोशनल किस्सा साझा किया है। उन्होंने बताया कि बचपन में उन्हें बुली किया जाता था, जिससे वे आज भी मानसिक रूप से प्रभावित रहते हैं।
सानिया मिर्ज़ा से बातचीत के दौरान करण ने बताया कि बचपन से ही उनकी पसंद बाकी बच्चों से अलग थी। जब दूसरे लड़के खेलकूद में व्यस्त रहते थे, वे कुकिंग और फूल सजाने की क्लासेज़ लेते थे।
करण ने बताया, “एक बार टीचर ने सबके सामने कहा कि मेरी आवाज और हावभाव लड़कों जैसे नहीं हैं और दुनिया बहुत सख्त है। उस दिन के बाद मैंने तीन साल तक वॉइस ट्रेनिंग ली ताकि मेरी आवाज़ बदल सके। अपने पिता से झूठ बोला कि मैं कंप्यूटर की क्लास ले रहा हूं, क्योंकि सच बताने में शर्म आती थी।”
उन्होंने आगे कहा कि आज के दौर में सोशल मीडिया और बाहरी दबाव के चलते बच्चे और किशोर अपने लुक्स और फॉलोअर्स को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं। “मैं खुद एक ओवरवेट बच्चा था और तब मुझे खुश रहने की आज़ादी थी। लेकिन अब के बच्चों के लिए ये वक्त कहीं ज्यादा कठिन और टॉक्सिक है।

करण ने यह भी बताया कि वे अपने बच्चों को स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए हमेशा जागरूक करते हैं। “मुझे डर रहता है कि मेरे बच्चे मोटे न हो जाएं। मैं उन्हें चीनी खाने से मना करता हूं, क्योंकि मेरे पिता को भी इसका असर झेलना पड़ा था,” उन्होंने कहा।

फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ का एक सीन याद करते हुए करण बोले, “शेफाली शाह वाला वो सीन, जिसमें वह छुपकर खाना खाती हैं, मुझे बहुत छू गया क्योंकि मैं भी वैसा ही था।” उन्होंने स्वीकार किया कि वे लंबे समय तक बॉडी डिस्मॉर्फिया से जूझते रहे।
“आज भी, वजन घटाने के बाद भी मैं खुद से पूरी तरह सहज नहीं हूं। अंदर से मैं हमेशा एक लार्ज-साइज लड़का ही रहूंगा,” करण ने भावुक होकर कहा।
@Tanya Singh
Author: BiharlocalDesk
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