हम अपनी पुरानी आदतों को बदल की बजाए अपने जीवन मे अपनाते है, जी आदतों को हमारे दोस्त, परिवार , अपनाते हैं हम भी उनकी नकल करने लगते है और फिर उन आदतों को डली जीवन मे करने लगते है । इन संस्कृतियों और समूहों में से प्रत्येक अपनी अपेक्षाओं और अपने मानकों के साथ आता है; कब शादी करनी है, शादी करनी है या नहीं, कितने बच्चे होने चाहिए, कौनसी छुट्टियाँ मनानी हैं, अपने बच्चे के जन्मदिन उत्सव पर कितना पैसा खर्च करना है। कई मायनों में, ये सामाजिक मानदंड अदृश्य नियम हैं, जो प्रत्येक दिन आपके व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं। आप हमेशा उन्हें दिमाग़ में बनाए रखते हैं, भले ही वे आपके दिमाग़ के शीर्ष पर नहीं हों। अक्सर, आप अपनी संस्कृति की आदतों का बिना सोचे-समझे, बिना कोई सवाल किए और कभी-कभी याद किए बिना अनुसरण करते हैं। फ्रांसीसी दार्शनिक मिशेल दि मोंटेने ने लिखा है, “समाज में जीवन के रीति-रिवाज और प्रथाएँ हमें बहाकर ले जाती हैं।” हमारी आदतें हमारी संस्कृति के अनुसार हमारे जीवन मे आती हैं हमारे जीवन पर हमारे आस पास के वातावरण का अधिक प्रभाव पड़ता है जिससे हम हमारे आस पास के लोगों की आदतों को आसानी से अपना लेते हैं