कर्नाटक, राजस्थान व पश्चिम बंगाल सहित देश के हिस्सों से खबरें आ रही है कि अब डेंगू का प्रभाव कम होने लगा है, लेकिन चिकनगुनिया के मुद्दे बढ़ने लगे हैं. जाहिर है एडिज़ वायरस से फैलने वाली इस बीमारी को बचाव के जरिए रोकने की जरूरत है. एम्स के डाक्टर अजय मोहन के मुताबिक, “चिकनगुनिया” शब्द मकोंड (Makonde) (या किमकोंड) की भाषा से लिया गया है जो मकोण्डे पठार पर बोली जाती है जहां इस रोग का जन्म हुआ था. चिकनगुनिया का मतलब होता है ‘झुक कर चलना’. इस रोग में मरीज जोड़ के दर्द के साथ झुक कर चलता है.
दरअसल, बारिश व ठंड के मौसम में चिकनगुनिया का वायरस तापमान घटते ही हावी हो जाता है. पिछले कुछ सालों में चिकनगुनिया दुनिया के लगभग एक चौथाई से ज्यादा राष्ट्रों में एक बीमारी के रूप में घुसपैठ कर चुका है. चिकनगुनिया रोग एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है, जो मनुष्यों में मच्छर काटने के कारण होता है. निश्चित रूप से यह एक जानलेवा बीमारी नहीं है लेकिन इसके लक्षण बहुत गंभीर लंबे समय तक चलने वाले व कठिनाई देने वाले हो सकते हैं. आमतौर पर चिकनगुनिया एडीज़ मच्छर के काटने से ही होता है, जो पहले से ही किसी मरीज को काट चुका हो या वायरस इनफेक्टेड हो. लेकिन कुछ मामलों में चिकनगुनिया किसी संक्रमित आदमी के रक्त के साथ भी स्वस्थ आदमी में ट्रांसमिट होने कि सम्भावना है.
चिकनगुनिया के लक्षण
इस रोग का मुख्य लक्षण तेज बुखार होता है, जो कुछ दिनों तक रहता है व जोड़ों में दर्द, जो कुछ हफ्तों या महीनों तक परेशान करता है. चिकनगुनिया व डेंगू के लक्षण बहुत ज्यादा मिलते-जुलते हैं. चिकनगुनिया संक्रमण के कुछ दिन बाद मरीज में यह लक्षण दिखाई देते हैं-
तेज बुखार, कभी-कभी 104-105 डिग्री तक
जोड़ों में दर्द
सिर दर्द
मांसपेशियों में दर्द व जकड़न
शरीर पर चकत्ते पड़ना
जोड़ों के आसपास सूजन होना
इन लक्षणों के साथ घमौरियों जैसे दाने आंखों का लाल होना व दुखना आना व उल्टी होना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं.
चिकनगुनिया का निदान
चिकनगुनिया का ठीक परीक्षण ब्लड टेस्ट द्वारा होता है क्योंकि इसके सामान्य लक्षण डेंगू बुखार जैसे होते हैं. टेस्ट में अगर डेंगू है तो इसकी पहचान जल्दी होना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 50% जानलेवा होता है, जबकि चिकनगुनिया में ऐसी गंभीर स्थिति नहीं आती. इसलिए यदि उपरोक्त लक्षण दिखाई दें व अपने क्षेत्र में यह बीमारी किसी को हुई हो तो जल्दी से जल्दी चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए.
रोग का उपचार
राहत की बात यह है कि बीमारी जानलेवा नहीं है. ज्यादातर मरीज एक सप्ताह में बुखार से फ्री हो जाते हैं, लेकिन जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती हैं. डाक्टर मोहन के मुताबिक 20% मरीज करीब एक वर्ष तक भी जोड़ों के दर्द की शिकायत करते रहते हैं. चिकनगुनिया के उपचार के लिए कोई दवा नहीं है. मरीज को ज्यादा से ज्यादा आराम करने व तरल पदार्थ के सेवन की सलाह दी जाती है. बुखार व जोड़ों के दर्द से राहत के लिए उसे कुछ दवाएं दी जाती है. अगर 6 महीने से ज्यादा ज्वाइंट पैन हो तो फिजिओथेरेपी की सलाह दी जाती है.
चिकनगुनिया से बचने के लिए कुछ सरल उपाय
चिकनगुनिया के कारण लंबे समय तक कम या ज्यादा कठिनाई झेलनी पड़ सकती है. मच्छरों से बचाव ही सबसे अच्छा तरीका है. डाक्टर मोहन का बोलना है, मच्छर से दूर रहने के लिए मॉस्किटो रेपेलेंट व मच्छदानी का प्रयोग करें. सारे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें. सुबह-सुबह व शाम को घर के अंदर ही रहें.जहां यह बीमारी फैली हुई है उस क्षेत्र में जाने से बचें. घर में या आसपास पानी जमा न होने दें. गंदगी न हो तो स्वाभाविक है मच्छर नहीं होंगे व आप बचे रहेंगे.