भाजपा ने बिहार चुनाव परिणाम के तुरंत बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह को पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया है। पार्टी द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि सिंह की गतिविधियाँ लगातार पार्टी लाइन के खिलाफ रही हैं और उनकी बयानबाजी अनुशासनहीनता की श्रेणी में आती है, जिससे संगठन को नुकसान पहुँचा है। उन्हें 17 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है कि क्यों न उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए।
2013 में भाजपा में शामिल हुए आर.के. सिंह लंबे समय से पार्टी के आधिकारिक रुख से अलग बयान देते रहे हैं। चुनाव से पहले भी उन्होंने NDA के कई उम्मीदवारों की आलोचना की थी और बिहार सरकार पर 62 हजार करोड़ रुपए के बिजली घोटाले का आरोप लगाया था।
सिंह ने बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, जेडीयू के अनंत सिंह और आरजेडी के सूरजभान सिंह को “हिंसा में शामिल” बताते हुए कहा था कि ऐसे लोगों को वोट देना लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपील की थी कि ऐसे नेताओं को वोट देने से बेहतर है “चुल्लू भर पानी में डूब मरना।”
बिजली समझौते को लेकर उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार ने अडाणी पावर लिमिटेड के साथ 25 साल का जो बिजली खरीद अनुबंध किया है, वह राज्य की जनता के साथ धोखा है। उनके अनुसार, सरकार अडाणी समूह से ₹6.75 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदेगी, जबकि मौजूदा दर इससे कम है।
उन्होंने जमीन आवंटन से लेकर शर्तों में “वित्तीय अनियमितताओं” का आरोप लगाया और इस डील की CBI जांच की मांग उठाई।
आर.के. सिंह ने आरोप लगाया कि जिस पावर प्लांट को NTPC के ज़रिए बनाया जाना था, उसे अचानक निजी कंपनी को दे दिया गया। उनके मुताबिक, सरकारी कंपनी वही प्रोजेक्ट कम दाम में बना सकती थी, पर “किसी खास निजी समूह को लाभ पहुँचाने” के लिए निर्णय बदला गया।
सिंह का दावा है कि उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक फिक्स्ड चार्ज ₹2.32 प्रति यूनिट होना चाहिए था, लेकिन सरकार ने ₹4.16 प्रति यूनिट मंज़ूर किए—जो जनता पर भारी वित्तीय बोझ डालेगा।
उन्होंने कहा कि “चोरी और सीना-ज़ोरी साथ नहीं चल सकती। भ्रष्टाचार पर चुप रहना संभव नहीं।”
भाजपा के निलंबन के बाद बिहार की राजनीति में यह मुद्दा एक बार फिर गरमाता दिख रहा है
@Tanya Singh
Author: BiharlocalDesk
ASAIN TIMES NEWS NETWORK







