@Ayesha Ahmad
पटना, 28 अक्टूबर 2025:
बिहार में इस बार का छठ पर्व कई परिवारों के लिए खुशियों की बजाय मातम बन गया। पूरे राज्य में श्रद्धा और आस्था के माहौल के बीच अलग-अलग जिलों में डूबने की घटनाओं में कुल 11 लोगों की मौत हो गई। इनमें नालंदा जिले में ही सात लोगों की जान चली गई, जबकि भागलपुर के नवगछिया में चार बच्चों की मौत ने पूरे इलाके को दहला दिया। मृतकों में बच्चे, युवक और महिलाएं शामिल हैं।
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🌅 छठ पर्व का पावन माहौल मातम में बदला
चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में आस्था का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। लाखों व्रती और श्रद्धालु सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए नदियों, तालाबों और घाटों पर एकत्र होते हैं। लेकिन इस बार यह पवित्र अवसर कई जगहों पर हादसों का गवाह बन गया।
राज्य के अलग-अलग जिलों — नालंदा, पटना, मुंगेर और भागलपुर — से डूबने की दर्दनाक घटनाओं की खबरें सामने आईं।
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🚨 नालंदा में 7 लोगों की मौत — हिलसा में मचा कोहराम
नालंदा जिले के हिलसा थाना क्षेत्र में छठ घाट पर स्नान के दौरान सात लोगों की जान चली गई। जानकारी के अनुसार, श्रद्धालु घाट पर अर्घ्य देने के बाद स्नान कर रहे थे तभी कुछ युवक और बच्चे नदी के गहरे पानी में चले गए।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। स्थानीय गोताखोरों की मदद से शवों को बाहर निकाला गया। फिलहाल कुछ लापता लोगों की तलाश जारी है।
मृतकों में शामिल हैं:
वर्षा कुमारी (19 वर्ष) – सिपारा गांव निवासी सुबोध साव की पुत्री
शिवम कुमार (16 वर्ष) – जहानाबाद के बौरी गांव निवासी समकेश साव का पुत्र
अन्य मृतकों की पहचान भी जारी है।
गांव में मातम पसरा हुआ है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, घाट पर सुरक्षा और प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी।
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🕯 नवगछिया में 4 बच्चों की डूबकर मौत
भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल में भी एक बेहद दर्दनाक हादसा हुआ। यहां छठ घाट की सफाई कर रहे चार बच्चों की डूबकर मौत हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बच्चे घाट की सफाई कर रहे थे जब वे गलती से गहरे पानी में चले गए और वापस नहीं निकल पाए।
स्थानीय गोताखोरों ने काफी मशक्कत के बाद शवों को निकाला। घटना के बाद पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। ग्रामीणों ने प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था की कमी पर नाराजगी जताई।
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🙏 मां के छठ व्रत के दौरान बेटे की मौत
एक अन्य हृदयविदारक घटना में, पटना जिले के एक युवक की छठ घाट पर डूबकर मौत हो गई। युवक की मां छठ व्रती थीं, और बेटा घाट पर प्रसाद बांट रहा था। इसी दौरान पैर फिसलने से वह नदी में गिर गया और गहरे पानी में समा गया।
परिवार के लिए यह पर्व खुशी से शोक में बदल गया, और इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।
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🚔 प्रशासन ने बढ़ाई सतर्कता, दिए सुरक्षा के आदेश
लगातार बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए बिहार प्रशासन ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाए।
गोताखोरों की अतिरिक्त टीमें तैनात की गई हैं।
घाटों पर प्रकाश व्यवस्था और चेतावनी बोर्ड लगाने का निर्देश दिया गया है।
स्थानीय थानों को चौकसी बढ़ाने और भीड़ नियंत्रित करने के आदेश दिए गए हैं।
हालांकि कई श्रद्धालुओं का कहना है कि अगर प्रशासन ने पहले से ही तैयारी की होती, तो ये घटनाएं रोकी जा सकती थीं।
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🗣 स्थानीय लोगों का दर्द
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि घाटों पर गहराई का कोई संकेत नहीं था। कई जगहों पर पानी अचानक गहरा हो जाता है, जिससे डूबने की घटनाएं आम हैं।
लोगों का कहना है कि प्रशासन को अस्थायी बैरिकेडिंग, गोताखोरों की 24 घंटे तैनाती और बच्चों को घाटों से दूर रखने की अपील करनी चाहिए थी।
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🌇 छठ पूजा की भावना और सावधानी की जरूरत
छठ पूजा बिहार की सांस्कृतिक पहचान है। यह पर्व सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक एकता और स्वच्छता का भी प्रतीक है।
हर साल लाखों लोग व्रत रखते हैं, लेकिन साथ ही इस तरह के हादसे हर बार सुरक्षा के अभाव की ओर इशारा करते हैं।
आवश्यक है कि श्रद्धालु और प्रशासन, दोनों ही सावधानी और सतर्कता बरतें ताकि इस पवित्र पर्व की खुशी किसी घर का मातम न बने।
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निष्कर्ष:
बिहार में इस वर्ष छठ पर्व के दौरान हुई ये घटनाएं सभी के लिए चेतावनी हैं कि आस्था के साथ सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है।
सरकार और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि भविष्य में ऐसे पर्वों के दौरान घाटों पर बेहतर व्यवस्था की जाए।
फिलहाल इन घटनाओं ने पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ा दी है।
 
				Author: BiharlocalDesk
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