माइमेंसिंग में दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या, अल्पसंख्यक सुरक्षा पर गंभीर सवाल
18 दिसंबर 2025 को बांग्लादेश के माइमेंसिंग क्षेत्र में दिपु चंद्र दास नामक एक हिंदू युवक की भीड़ द्वारा बेरहमी से हत्या किए जाने की घटना ने देश-विदेश में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। आरोप है कि गाली-गलौज और कथित धार्मिक टिप्पणी के नाम पर उग्र भीड़ ने पहले दिपु को बुरी तरह पीटा, फिर उसकी हत्या कर दी और बाद में शव को पेड़ से बांधकर जला दिया गया।
इस दिल दहला देने वाली घटना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निंदा हो रही है। न्यूयॉर्क सहित कई देशों के सांसदों, मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक नेताओं ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताया है। भारत समेत कई देशों में इस हत्या के विरोध में प्रदर्शन हुए, जहां हिंदू और अन्य संगठनों ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग उठाई।
परिजनों ने दिपु की हत्या को पूरी तरह सुनियोजित साजिश करार दिया है। परिवार का कहना है कि उस पर लगाए गए ईशनिंदा के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद थे और उसका किसी भी तरह के धार्मिक अपमान से कोई लेना-देना नहीं था। आरोप है कि जानबूझकर अफवाह फैलाई गई, जिसके बाद उग्र भीड़ ने कानून को हाथ में लेकर उसकी जान ले ली।
यह घटना बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा के लंबे इतिहास को एक बार फिर सामने लाती है। 1971 में आज़ादी के बाद से ही हिंदू समुदाय समय-समय पर हमलों का शिकार रहा है। राजनीतिक अस्थिरता और धार्मिक कट्टरता के दौर में घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमले हुए हैं। 1990 के दशक में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई, जबकि 2013, 2021 और हाल के वर्षों में दुर्गा पूजा के दौरान भी कई हिंसक घटनाएं सामने आईं।
दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद माइमेंसिंग क्षेत्र में भय और दहशत का माहौल है। स्थानीय हिंदू समुदाय खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है और निष्पक्ष जांच व ठोस सुरक्षा की मांग कर रहा है। यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी हिंसा और डर के माहौल की एक और दर्दनाक कड़ी बन गई है।
@MUSKAN KUMARI





