किशनगंज में रविवार को AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बड़ी राजनीतिक पेशकश करते हुए कहा कि उनकी पार्टी बिहार में नीतीश कुमार की सरकार को बाहर से समर्थन देने को तैयार है—लेकिन एक शर्त के साथ।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमांचल क्षेत्र को उसका हक और न्याय मिलना चाहिए, तभी AIMIM किसी तरह का समर्थन देगी।
ओवैसी ने कहा कि विकास सिर्फ पटना और राजगीर तक सीमित नहीं रह सकता। उनका आरोप है कि सीमांचल दशकों से उपेक्षा का शिकार रहा है—यह इलाका नदी कटाव, पलायन, बेरोज़गारी और भ्रष्टाचार जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। कोसी नदी हर साल भारी तबाही मचाती है, लेकिन सरकारी राहत “निराशाजनक” बताई गई।
उन्होंने ज़ोर दिया कि अब समय आ गया है जब सीमांचल को उसका पूरा अधिकार और बराबरी का हिस्सा मिले।
हालिया विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि सीमांचल की 24 सीटों में से AIMIM ने 5 सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी स्थिति मजबूत साबित की है। साथ ही उन्होंने अनुशासनहीनता पर भी सख्त रुख दिखाया और 2020 में पार्टी से टूटकर जाने वाले विधायकों का उदाहरण दिया।
जनसभा में उन्होंने नई व्यवस्था की घोषणा की—
AIMIM के सभी 5 विधायक सप्ताह में कम से कम दो दिन अपने-अपने क्षेत्रीय कार्यालयों में बैठकर जनता की समस्याएँ सुनेंगे।
विधायकों को अपनी लोकेशन के साथ फोटो भेजकर उपस्थिति प्रमाणित करनी होगी।
ओवैसी ने यह भी कहा कि वे खुद हर छह महीने में सीमांचल का दौरा करेंगे ताकि क्षेत्र की समस्याओं पर लगातार नज़र रखी जा सके।
हालांकि NDA ने इस बार सीमांचल की 24 में से 14 सीटों पर जीत हासिल की है, लेकिन AIMIM ने अपनी पाँच सीटें बचाकर यह संकेत दे दिया है कि पार्टी की जमीनी पकड़ अभी भी मजबूत बनी हुई है।
@Tanya Singh
Author: BiharlocalDesk
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