दुलारचंद यादव हत्याकांड में अनंत सिंह की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुनवाई — क्या शपथ ग्रहण के दिन जेल से बाहर आएंगे ‘बाहुबली’?

पटना। Asian Times Bureau — बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म है। दुलारचंद यादव हत्याकांड में जेल में बंद मोकामा के बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह ने पटना सिविल कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। गुरुवार को इस पर सुनवाई होगी और पूरी राज्य की निगाहें इसी फैसले पर टिकी हैं।
सबसे बड़ा सवाल—
क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह वाले दिन अनंत सिंह जेल से बाहर आ सकते हैं?

राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप—अनंत सिंह ने कहा: “हम निर्दोष हैं”

अपनी जमानत याचिका में अनंत सिंह ने इसे पूरी तरह राजनीतिक प्रतिशोध बताया। उन्होंने कहा:

“मैं इस मामले में निर्दोष हूं।

मेरा इस घटना से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है।”

“पीड़ित परिवार आरोप इसलिए लगा रहा है ताकि मेरी राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचे।”

अनंत सिंह ने यह भी कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान दो राजनीतिक दलों के काफिले आमने-सामने आ गए थे, जिससे केवल मौखिक विवाद हुआ।
उन्होंने दावा किया कि:

इस घटना में कोई साजिश या योजना नहीं थी,

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु गोली लगने से नहीं, बल्कि भारी चोट की वजह से हुई है।

गिरफ्तारी के बाद उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया और

उनके पास से कोई हथियार या आपत्तिजनक वस्तु बरामद नहीं हुई।

क्या शपथ ग्रहण समारोह पर पड़ेगा असर?

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि यदि कोर्ट से राहत मिलती है तो राज्य की राजनीति में यह एक बड़ा संदेश माना जाएगा।
कई राजनीतिक विश्लेषक इसे NDA की सत्ता वापसी, बदलते समीकरण और पूर्व मामलों पर अदालत के रुख से जोड़कर देख रहे हैं।

दुलारचंद यादव हत्याकांड — क्या है पूरा मामला?

30 अक्टूबर 2025 को मोकामा के घोसवरी थाना क्षेत्र के बसावनचक में
राजद नेता व जनसुराज के प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहे दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई थी।

पीड़ित पक्ष का आरोप है कि यह घटना राजनीतिक रंजिश और क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई का परिणाम थी।
घटना के बाद अनंत सिंह को इस मामले में मुख्य आरोपित बनाते हुए गिरफ्तार किया गया था।

अगली सुनवाई पर निगाहें — बड़ा फैसला संभव

गुरुवार को होने वाली सुनवाई में यह तय होगा कि क्या अनंत सिंह को जमानत मिलती है या नहीं।
यदि उन्हें राहत मिलती है तो यह मामला राजनीतिक हलकों में बड़ी हलचल पैदा कर सकता है।
और यदि जमानत याचिका खारिज होती है, तो आने वाले दिनों में मामला और विवादों में घिर सकता है।

Noida Desk
Author: Noida Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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