चुनाव में “महिला वोटर्स” बने सबसे बड़ा फैक्टर, पार्टियों का फोकस मुफ्त स्कीम और कैश ट्रांसफर पर शिफ्ट

बिहार,

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच आज की सबसे बड़ी राजनीतिक पैंतरा-मार्केटिंग महिलाओं के इर्द-गिर्द घूम रही है। चुनावी बहस में आज अचानक मुद्दा फिर “महिलाओं” पर शिफ्ट हो गया है। सभी दल यह मान चुके हैं कि इस बार फैसला महिला वोट से ही होगा।

महागठबंधन की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार बनी तो मकर संक्रांति 14 जनवरी 2026 को महिलाओं के खाते में 30,000 रुपये की एकमुश्त राशि ट्रांसफर की जाएगी। इसे “माई-बहिन मान योजना” के नाम से प्रोजेक्ट किया जा रहा है। इसके अलावा सभी जीविका दीदियों को 2,000 रुपये प्रतिमाह, जबकि जीविका कम्युनिटी मोबिलाइजर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और 30,000 रुपये प्रतिमाह सैलरी का वादा किया गया है।

यही नहीं, जीविका कैडर और समूह की महिलाओं को 5 लाख रुपये तक का बीमा कवरेज और लिए गए ऋण पर ब्याज माफी के साथ दो साल बीना ब्याज पर लोन देने की घोषणा भी हुई है।

उधर एनडीए भी महिला सुरक्षा, साइबर सुरक्षा हेल्पलाइन, लड़कियों की उच्च शिक्षा में सहायता और महिला उद्यमिता फंड को लेकर अपने वादों की सूची तैयार कर रहा है।

मतदाताओं और एनालिस्टों का मानना है कि इस बार चुनाव में सिर्फ जाति नहीं, बल्कि महिला वोट बैंक “निर्णायक” है। बिहार में लगभग 47% महिला वोटर्स हैं और हर दल को पता है — महिला वोट झुका तो सत्ता उसी की।

@MUSKAN KUMARI

NCRLOCALDESK
Author: NCRLOCALDESK

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