पटना। चुनाव आयोग (EC) मंगलवार को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की फाइनल वोटर लिस्ट जारी करेगा। अनुमान है कि इस सूची में करीब 7.3 करोड़ मतदाता शामिल होंगे, जिनमें लगभग 14 लाख नए वोटरों के नाम जोड़े गए हैं। वहीं, इस प्रक्रिया के दौरान 65 लाख वोटर्स के नाम हटा दिए गए हैं।
क्यों हटाए गए 65 लाख मतदाता?
ECI के मुताबिक, हटाए गए नामों में
22 लाख लोग ऐसे हैं जिनकी मौत हो चुकी है,
36 लाख वोटर अपने घरों पर नहीं मिले,
7 लाख मतदाता किसी नई जगह स्थायी निवासी बन चुके हैं।
इसके अलावा, कुछ लोगों के पास डुप्लीकेट वोटर आईडी भी पाए गए।
बिहार में 22 साल बाद चली SIR प्रक्रिया
बिहार में 2003 के बाद पहली बार SIR प्रक्रिया चलाई गई। इसे 24 जून 2025 से शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य था –
फर्जी और डुप्लीकेट वोटरों को सूची से हटाना,
स्थानांतरित और मृत मतदाताओं के नाम काटना,
नए योग्य वोटरों को जोड़ना।
SIR का पहला चरण 25 जुलाई 2025 तक पूरा किया गया, जिसमें 99.8% कवरेज हासिल की गई।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरी प्रक्रिया
29 जुलाई से सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शुरू की।
कोर्ट ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि हटाए गए वोटरों की सूची और कारण सार्वजनिक किए जाएं।
18 अगस्त को चुनाव आयोग ने 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की लिस्ट कारणों सहित प्रकाशित की।
8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आधार कार्ड को 12वें पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर गड़बड़ी पाई गई तो पूरी SIR प्रक्रिया रद्द कर दी जाएगी।
विपक्ष का आरोप और सवाल
विपक्षी दलों ने SIR प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि—
यह प्रक्रिया लोगों को वोटिंग के अधिकार से वंचित करने की साजिश है।
2003 से अब तक बिहार में कई चुनाव हो चुके हैं, तब यह सवाल क्यों नहीं उठाया गया?
इतनी जल्दबाजी में बिहार चुनाव से पहले इस प्रक्रिया को लागू क्यों किया गया?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सवाल उठाए—
चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक डेटा उपलब्ध क्यों नहीं कराता?
चुनाव एक ही दिन में क्यों नहीं कराए जाते?
आयोग CCTV फुटेज और पारदर्शिता क्यों नहीं देता?
आगे की तैयारी
फाइनल वोटर लिस्ट जारी होने के बाद बिहार में चुनावी तैयारियां और तेज हो जाएंगी। अब मतदाता अपने नाम और स्थिति ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों माध्यमों से चेक कर सकेंगे।
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Author: BiharlocalDesk
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