स्वच्छ भारत : बदलती सोच, बदलता भारत

स्वच्छ भारत : बदलती सोच, बदलता भार

एशियन टाइम्स ब्यूरो रिपोर्ट / @ एम एच के

एक राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत
भारत की छवि लंबे समय तक गंदगी, कूड़े और खुले में शौच जैसी समस्याओं से जुड़ी रही। लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुआ स्वच्छ भारत मिशन अब केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन बन चुका है।

बदलते आँकड़े, बदलता भारत

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत अब तक 12 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालय और 2.53 लाख सामुदायिक शौचालय कॉम्प्लेक्स बनाए जा चुके हैं।

2014 में जहाँ केवल 39% घरों में शौचालय थे, वहीं 2019 तक ग्रामीण भारत ने 100% शौचालय कवरेज हासिल कर लिया।

WHO के अनुसार, इस अभियान से हर साल लगभग 3 लाख बच्चों की जान डायरिया जैसी बीमारियों से बचाई जा रही है।

एक स्वतंत्र अध्ययन बताता है कि “स्वच्छ भारत टॉयलेट्स” की वजह से लगभग 70,000 शिशुओं की मौतें हर वर्ष टल रही हैं।

शहरों की तस्वीर भी बदल रही है। इंदौर लगातार 7 बार भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित हुआ। 2023 में देशभर में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले 1.5 लाख टन कचरे में से लगभग 83% कचरा संग्रहित किया जाता है, लेकिन 30% से कम का वैज्ञानिक उपचार हो पाता है। यह आँकड़े साफ़ बताते हैं कि सफ़ाई के क्षेत्र में अभी और मेहनत ज़रूरी है।

बदलती सोच और नई पीढ़ी की भूमिका
इस बदलाव की असली ताक़त लोगों की सोच है। बच्चे, महिलाएँ और युवा आज इस मिशन के सक्रिय हिस्सेदार हैं। नई पीढ़ी इसे सिर्फ सरकारी योजना नहीं, बल्कि सामाजिक ज़िम्मेदारी मान रही है।

स्वच्छता का मतलब केवल कचरे को हटाना नहीं है, बल्कि सोच बदलना है—

सड़कों और गलियों में कचरा न फेंकना,

नालियों को जाम न करना,

प्लास्टिक का कम इस्तेमाल करना,और सार्वजनिक जगहों की देखभाल करना। युवाओं की भागीदारी—सोशल मीडिया, डिजिटल अभियानों और स्वयंसेवी समूहों के माध्यम से—इस मिशन को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है। इस्लामी नज़र से स्वच्छता
साफ़-सफ़ाई केवल सामाजिक या सरकारी पहल नहीं, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

हदीस शरीफ़ में आता है:
“अत-तहूरु शत्रुल ईमान” – यानी साफ़-सफ़ाई ईमान का आधा हिस्सा है।

कुरआन (सूरह बक़रह 2:222) में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“निस्संदेह, अल्लाह तौबा करने वालों और पाक-साफ़ रहने वालों को पसंद करता है।” इस नज़र से देखा जाए तो स्वच्छ भारत मिशन केवल आधुनिक विकास का प्रतीक नहीं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक ज़िम्मेदारी भी है। स्वच्छ भारत मिशन ने यह साबित कर दिया है कि जब सरकार, समाज और नागरिक एक साथ आगे बढ़ते हैं तो असंभव भी संभव हो जाता है। अगर हर नागरिक इसे अपनी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी माने, तो भारत की सूरत ही नहीं, हमारी आत्मा भी रोशन होगी।

 

Noida Desk
Author: Noida Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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