बिहार में ऑन-डिमांड बच्चा चोरी करने वाली गैंग का पर्दाफाश: स्टेशन से मासूम गायब, अस्पताल पर निगरानी और दो से ढाई लाख में सौदा

बिहार की राजधानी पटना में बच्चों की चोरी और तस्करी का खौफनाक नेटवर्क पकड़ा गया है। यह गिरोह मासूम बच्चों को अस्पताल और रेलवे स्टेशन से निशाना बनाकर उन्हें ऑन-डिमांड बेचता था। डिमांड के अनुसार – गोरा, सांवला, हेल्दी बच्चा – सबकी कीमत तय थी। सौदा एक से ढाई लाख रुपए तक होता था।

पुलिस ने इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। गिरोह की गिरफ्तारी तब हुई जब 23 अगस्त को पटना जंक्शन से गायब हुआ छह महीने का मासूम नालंदा से बरामद किया गया।

मासूम की गुमशुदगी से खुला रहस्य

23 अगस्त की रात पटना जंक्शन पर एक महिला अपने छह महीने के बच्चे के साथ ट्रेन से उतरी। ट्रेन में बैठा एक अजनबी लगातार बच्चे से खेलता रहा। महिला उसके झांसे में आ गई और स्टेशन पर वॉशरूम जाते समय बच्चा उसी को थमा दिया। जब वह लौटी, तो बच्चा और वह शख्स दोनों गायब थे।

अगले दिन महिला ने जीआरपी थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने साइबर सेल और लोकल इंटेलिजेंस की मदद से जांच शुरू की।

बच्चों की मंडी: कीमत तय, डिमांड पर सौदा

पुलिस की जांच में सामने आया कि यह गिरोह उन कपल्स से जुड़ा था जिनके बच्चे नहीं होते थे।

ग्राहक कहता – गोरा बच्चा चाहिए या सांवला।

गिरोह कीमत तय करता – 2 से 2.50 लाख रुपए।
इसके बाद मासूम की तलाश शुरू होती और शिकार बनते अस्पताल या स्टेशन पर अकेली महिलाएं।

ऑपरेशन हाफ पैंट और टी-शर्ट

3 सितंबर को पुलिस ने लोकेशन ट्रेस कर छापेमारी की। इस दौरान सभी जवान सादे कपड़ों में थे, ताकि गिरोह को भनक न लगे। योजना सफल रही और मासूम को सकुशल बरामद कर लिया गया। इसी दौरान आठ आरोपी भी पकड़ लिए गए।

गिरोह के सदस्य और उनकी भूमिका

दलाल मुन्ना बिंद और उसका बेटा – सौदा कराने का काम।

रंजीत – बच्चा चोरी करने वाला।

तीन महिलाएं – बबिता, कौशल्या और अनीता – बच्चों की देखभाल और दूध पिलाने का काम।

संजीत – खरीदार, जिसने 2 लाख रुपए में बच्चा लिया।

दूसरा बच्चा अब भी रहस्य

पुलिस ने नालंदा से एक मासूम को बरामद किया, लेकिन छापेमारी में एक और बच्चा मिला। उसकी पहचान और असली परिवार का पता अब तक नहीं चल पाया है। पुलिस इसे मामले का सबसे बड़ा रहस्य मान रही है।

सीमाओं से परे फैला नेटवर्क

रेल डीआईजी राजीव रंजन के मुताबिक, गिरोह के तार बिहार ही नहीं बल्कि राजस्थान, कोलकाता और सीमावर्ती राज्यों से भी जुड़े हो सकते हैं। पिछले छह से आठ महीनों में रेलवे स्टेशन से गायब हुए बच्चों की फाइलें खंगाली जा रही हैं।

अब भी बाकी हैं कई सवाल

कितने मासूम इस गिरोह के शिकार बने?

क्या इस नेटवर्क में और बड़े चेहरे शामिल हैं?

और सबसे बड़ा सवाल – अगला शिकार कौन होता अगर यह गिरोह पकड़ा न जाता?

 

@AT Saumya

BiharlocalDesk
Author: BiharlocalDesk

saumya jha

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