लखनऊ/एशियन टाइम्स ब्यूरो:
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर शिक्षा को लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा शुरू की गई “पीडीए पाठशाला” अब विवादों में घिर गई है। इस पाठशाला में बच्चों को ‘ए से अखिलेश’, ‘डी से डिंपल’ पढ़ाए जाने की खबरों ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है।
दरअसल, समाजवादी पार्टी ने योगी सरकार के तहत चल रहे सरकारी स्कूलों के मर्जर अभियान के विरोध में प्रदेश भर में “पीडीए पाठशाला” नामक कार्यक्रम की शुरुआत की है। सपा का दावा है कि यह पाठशाला सामाजिक न्याय, समानता और भाईचारे के मूल्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चलाई जा रही है।
लेकिन इस कार्यक्रम में बच्चों को जो तरीके से शिक्षा दी जा रही है, उस पर अब सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कुछ वीडियो में दिखाया गया कि पीडीए पाठशाला में बच्चों को ‘अ से अखिलेश’, ‘क से क्रांति’, ‘ड से डिंपल’, ‘स से समाजवाद’ जैसे शब्द सिखाए जा रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ की तीखी प्रतिक्रिया
सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद दौरे पर पत्रकारों से बातचीत में सपा पर निशाना साधते हुए कहा,
> “इनकी पीडीए पाठशाला में अ से अखिलेश, क से कट्टा, ल से लूट, इ से इमामबाड़ा और ड से डिंपल सिखाया जा रहा है। यही इनका ‘संस्कार’ है। जो खुद शिक्षा के नाम पर तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं, वो बच्चों को क्या दिशा देंगे?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भाजपा सरकार बच्चों को डिजिटल क्लासरूम, स्मार्ट स्कूल और तकनीकी ज्ञान से लैस कर रही है, जबकि सपा की प्राथमिकता सिर्फ जातिवादी एजेंडा और राजनीतिक परिवारवाद है।
सपा का पलटवार
समाजवादी पार्टी ने सीएम योगी की टिप्पणी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा,
> “भाजपा को सामाजिक न्याय और पीडीए से चिढ़ है। पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक – इन वर्गों को शिक्षित करने का हमारा प्रयास उन्हें खटक रहा है। पीडीए पाठशाला के माध्यम से हम संविधान की मूल आत्मा को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।”
चौधरी ने यह भी कहा कि पीडीए पाठशाला भाजपा की झूठी राष्ट्रवाद की शिक्षा से कहीं बेहतर है, जहां बच्चों को नफरत और झूठ का पाठ पढ़ाया जाता है।
विपक्ष और शिक्षा विशेषज्ञों की राय
विपक्षी दलों ने इसे सपा और भाजपा दोनों की ‘राजनीतिक नौटंकी’ करार दिया है। कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा,
“बच्चों की शिक्षा को राजनीतिक हथियार बनाया जा रहा है। न भाजपा गंभीर है न सपा। असली मुद्दा तो सरकारी स्कूलों की बदहाली है, जिस पर कोई बात नहीं करता।”
शिक्षा विशेषज्ञों ने भी चिंता जताई है कि राजनीति का इस प्रकार बच्चों की शिक्षा में घुसपैठ करना संविधान की भावना के खिलाफ है। बच्चों को राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए।
पीडीए पाठशाला और उस पर सीएम योगी की चुटकी ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को गर्मा दिया है। जहां सपा इसे सामाजिक न्याय का माध्यम बता रही है, वहीं भाजपा इसे वैचारिक प्रदूषण और राजनीतिक ब्रेनवॉश का प्रयास मान रही है।
बहरहाल, यह बहस यह सवाल जरूर छोड़ जाती है—क्या बच्चों की शिक्षा को राजनीतिक लड़ाई का अखाड़ा बनाया जाना चाहिए?

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)