बिहार के ‘Son of Mallah’ ने कैसे बनाई अपनी पहचान, कैसे बदले राजनीतिक समीकरण
प्रारंभिक जीवन
मुकेश सहनी का जन्म 31 मार्च 1981 को बिहार के दरभंगा जिले में एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता जितन साहनी एक मेहनती व्यक्ति थे, जो अपने गांव में सामाजिक रूप से सक्रिय रहते थे, और माता मीना देवी एक गृहिणी थीं। बचपन में मुकेश सहनी ने गरीबी और संसाधनों की कमी का सामना किया, लेकिन उनमें हमेशा एक बड़ी सोच और सपनों को पूरा करने का जज़्बा रहा।
स्कूल की पढ़ाई उन्होंने दरभंगा में ही की, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए उन्हें अवसर सीमित मिले। इसी वजह से उन्होंने कम उम्र में ही रोज़गार के लिए घर छोड़कर मुंबई का रुख किया। मुंबई में उन्होंने शुरुआती दिनों में छोटे-मोटे काम किए — मॉल में सेल्समैन से लेकर इवेंट डेकोरेशन तक।
मुंबई में संघर्ष के दौरान उनकी मुलाकात फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोगों से हुई और यहीं से उनकी जिंदगी ने मोड़ लिया। वे बॉलीवुड सेट डिज़ाइनर बन गए और “Mukesh Cineworld Pvt. Ltd.” के माध्यम से बड़े-बड़े प्रोजेक्ट किए। उनकी मेहनत और क्रिएटिविटी ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक नाम दिलाया, लेकिन उनकी आत्मा हमेशा अपने गांव और समाज से जुड़ी रही।
उनके जीवन का एक बड़ा झटका 2024 में आया, जब उनके पिता जितन साहनी की दरभंगा में हत्या कर दी गई। यह घटना न केवल व्यक्तिगत रूप से उनके लिए दर्दनाक थी, बल्कि राजनीतिक रूप से भी उनके मिशन को और मजबूत करने वाली बनी।
सामाजिक और संगठनात्मक गतिविधियाँ
मुंबई में रहते हुए भी सहनी अपने समुदाय के लिए सक्रिय रहे। 2010 में उन्होंने ‘सहनी समाज कल्याण संस्थान’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था मल्लाह समुदाय के युवाओं और महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और सामाजिक जागरूकता दिलाना।
इसके बाद 2015 में उन्होंने ‘निषाद विकास संघ’ बनाई, जिसने बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मल्लाह/निषाद समुदाय को राजनीतिक रूप से संगठित करना शुरू किया। यह संगठन जल्दी ही एक सामाजिक आंदोलन में बदल गया।
मल्लाह समुदाय, जिसे ऐतिहासिक रूप से नाविक और मछुआरे के रूप में जाना जाता है, बिहार में लगभग 2.5% आबादी का हिस्सा है। लेकिन उनका राजनीतिक प्रतिनिधित्व बहुत सीमित रहा। सहनी ने इस कमी को अपना मिशन बना लिया और समुदाय को यह विश्वास दिलाया कि वे भी बिहार की सत्ता में भागीदार बन सकते हैं।
राजनीतिक पथ – BJP से VIP
2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के समय सहनी ने बीजेपी के लिए प्रचार करना शुरू किया। उन्होंने खुद को ‘Son of Mallah’ के रूप में ब्रांड किया और नदियों के किनारे बसे समुदायों में बीजेपी के लिए माहौल बनाया।
लेकिन जल्दी ही उन्हें महसूस हुआ कि वे सिर्फ किसी और के लिए प्रचारक बनकर अपने समुदाय के हक की लड़ाई नहीं जीत सकते। यही सोच उन्हें अपनी पार्टी बनाने की तरफ ले गई।
4 नवंबर 2018 को सहनी ने ‘विकासशील इंसान पार्टी’ (VIP) की स्थापना की। 2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन (RJD, RLSP आदि) के साथ गठबंधन किया और खगड़िया, मुजफ्फरपुर और एक अन्य सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली।
विधानसभा चुनाव और मंत्री अनुभव
2020 में सहनी की VIP ने NDA के साथ मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा। VIP को 11 सीटें मिलीं, और सहनी ने खुद सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव लड़ा। वे बेहद नज़दीकी मुकाबले में RJD से हार गए — RJD को 38.48% और VIP को 37.58% वोट मिले।
हालांकि वे खुद नहीं जीते, लेकिन NDA में शामिल होने के बाद उन्हें पशु पालन एवं मत्स्य पालन मंत्री बनाया गया। उन्होंने 16 नवंबर 2020 से 27 मार्च 2022 तक मंत्री पद संभाला।
इस दौरान उन्होंने मछुआरों और पशुपालकों के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जैसे —
मत्स्य पालन के लिए लोन सब्सिडी
मछली बीज उत्पादन केंद्रों का विस्तार
छोटे पशुपालकों के लिए विशेष योजनाएं
गठबंधन बदलना और विवाद
VIP और BJP के रिश्ते समय के साथ बिगड़ने लगे। VIP के तीन विधायक BJP में चले गए और मार्च 2022 में सहनी को मंत्री पद से हटा दिया गया। इसके बाद 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सहनी ने NDA छोड़कर महागठबंधन (INDIA Bloc) का दामन थाम लिया। RJD और कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे में VIP को 3 सीटें दी गईं।समुदाय में प्रभाव और राजनीतिक पहचान
सहनी का सबसे बड़ा राजनीतिक पूंजी उनका मल्लाह/निषाद समुदाय में प्रभाव है। मुज़फ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा, मधुबनी, खगड़िया जैसे जिलों में उनका वोट बैंक मजबूत है।
वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे के अनुसार:
“मुकेश सहनी भले सीट न जीतें, लेकिन 25 से 30 सीटों पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि वे किसी भी गठबंधन के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।”
आलोचना और मीडिया विश्लेषण
सहनी पर आरोप है कि उन्होंने समाज के नाम पर राजनीति की और कई बार पाला बदलकर अपने फायदे को प्राथमिकता दी। कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने BJP से लेकर RJD तक सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए गठबंधन बदले।
फिर भी, उनके समर्थक कहते हैं कि अगर सहनी ऐसा नहीं करते, तो मल्लाह समुदाय की आवाज सत्ता के गलियारों तक नहीं पहुंच पाती।
भविष्य की राह
सहनी की नज़र अब 2025 बिहार विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव पर है। वे VIP को सिर्फ मल्लाह समुदाय तक सीमित नहीं रखना चाहते, बल्कि दलित-पिछड़ा वर्ग और मछुआरों के बड़े वोट बैंक को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं।
@Tanvir alam sheikh

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)