तेजप्रताप यादव: एक बेटा जिसे घर और पार्टी दोनों ने ठुकराया क्या है पूरा मामला?

 

  • ✍️ लेखक: एशियन टाइम्स विशेष संवाददाता | 

 

बिहार की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आया है। इस बार केंद्र में हैं लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव, जिन्हें राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इतना ही नहीं, पारिवारिक सूत्रों के अनुसार तेजप्रताप को लालू परिवार की संपत्ति और राजनीतिक विरासत से भी बेदखल करने की आंतरिक कवायद चल रही है। यह केवल राजनीतिक निर्णय नहीं बल्कि एक पारिवारिक संकट और भावनात्मक दरार की कहानी भी है।

🔶 सवाल उठता है — आखिर ऐसा क्या हुआ?

क्या तेजप्रताप की छवि, उनका आचरण, विवाह जीवन की समस्याएं, या कोई और व्यक्तिगत विवाद इस बंटवारे का कारण बना? क्या यह चुनावी रणनीति का हिस्सा है या वंशवाद की एक सीमित परिभाषा? क्या यह पूरी घटना बिहार चुनाव 2025 की भूमिका तय कर रही है?

तेजप्रताप यादव — एक बागी राजकुमार

तेजप्रताप यादव 2015 में जब पहली बार बिहार की राजनीति में उभरे, तो उनकी छवि “बोल्ड”, “फंकी” और कई बार “अनपॉलिटिकल” रही। बाइक राइडिंग, कृष्ण भक्ति, और संतों जैसा पहनावा — इन सबके कारण वे मीडिया की सुर्खियों में तो रहे, लेकिन गंभीर राजनीति में उनकी पकड़ कमजोर दिखी।

उनके मुकाबले तेजस्वी यादव ने खुद को अधिक गंभीर और रणनीतिक नेता के रूप में स्थापित किया। यही विभाजन धीरे-धीरे पारिवारिक तनाव का कारण बन गया।

विवाह विवाद — राजनीति में पारिवारिक हस्तक्षेप?

तेजप्रताप का विवाह 2018 में ऐश्वर्या राय से हुआ, जो बिहार के वरिष्ठ नेता चंद्रिका राय की बेटी हैं। यह शादी राजनीतिक समझौते के रूप में देखी गई थी, लेकिन शादी के कुछ ही महीनों में विवाद सामने आ गया।

तेजप्रताप ने सार्वजनिक रूप से ऐश्वर्या पर गंभीर आरोप लगाए, वहीं ऐश्वर्या ने लालू परिवार के भीतर महिला विरोधी व्यवहार की शिकायत की। यह मुद्दा मीडिया में खूब उछला और परिवार की छवि को गहरा आघात पहुंचाया।

कहा जाता है कि यही से लालू परिवार और तेजप्रताप के रिश्तों में गहरी खटास आ गई। शादी एक राजनीतिक डील थी जो टूट गई — और इसके साथ-साथ रिश्ते और सत्ता का संतुलन भी बिगड़ गया।

पार्टी से निकाला जाना — क्यों और कैसे?

2025 में अचानक तेजप्रताप के खिलाफ RJD ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से निकालने की घोषणा की। इस कार्रवाई की कोई सार्वजनिक सुनवाई या समिति रिपोर्ट नहीं आई, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, तेजप्रताप लगातार पार्टी लाइन से हटकर बयान दे रहे थे, संगठन के निर्णयों का मज़ाक उड़ा रहे थे और नेताओं से दुर्व्यवहार कर रहे थे।

ऐसे में तेजस्वी यादव की टीम के लिए उन्हें बाहर करना ज़रूरी हो गया था, ताकि पार्टी की साख बची रह सके।

 विधानसभा की सदस्यता — क्या खत्म होगी?

तेजप्रताप यादव फिलहाल विधायक हैं। लेकिन पार्टी से निकाले जाने के बाद यह सवाल उठता है कि क्या अब उनकी विधानसभा सदस्यता भी खत्म होगी?

संविधान के अनुसार, अगर कोई विधायक अपनी पार्टी से हटता है या पार्टी उसे निष्कासित करती है, तो पार्टी विधानसभा अध्यक्ष को लिखित में दे सकती है कि वह व्यक्ति अब दल का हिस्सा नहीं है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष तय करते हैं कि सदस्यता खत्म होगी या नहीं।

फिलहाल, तेजप्रताप की सदस्यता यथावत है, लेकिन भविष्य में पार्टी अगर औपचारिक अपील करती है, तो फैसला बदल सकता है।

लालू परिवार की संपत्ति से भी बेदखली?

यह हिस्सा सबसे संवेदनशील है। लालू यादव के परिवार के पास बिहार में करोड़ों की संपत्ति है। पारिवारिक राजनीतिक विरासत, जमीन-जायदाद, पार्टी के कब्जे वाली संस्थाएं और अन्य संसाधनों पर परिवार का एकाधिकार है।

अब अगर तेजप्रताप पूरी तरह अलग हो जाते हैं, तो उन्हें इनसे भी बाहर कर दिया जाएगा। हालांकि अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार तेजस्वी गुट उन्हें किसी प्रकार की विरासत देने के पक्ष में नहीं है।

क्या इसका असर 2025 के विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा?

बिलकुल। तेजप्रताप यादव का पार्टी से बाहर जाना एक नकारात्मक संदेश तो देता ही है, लेकिन इसका राजनीतिक नुकसान तेजस्वी यादव को भी हो सकता है। लालू यादव की छवि एक परिवारवादी नेता की रही है। अगर एक बेटा खुलेआम विद्रोह करता है और बाहर निकाल दिया जाता है, तो यह जनता को भ्रमित कर सकता है कि परिवार में ही एकता नहीं है तो राज्य में क्या व्यवस्था लाएंगे?

दूसरी तरफ, तेजप्रताप अलग दल बना सकते हैं या किसी और पार्टी से गठजोड़ कर सकते हैं, जिससे RJD को Yadav और युवा मतों में नुकसान हो सकता है।

क्या तेजप्रताप नई पार्टी बनाएंगे?

यह सवाल सबसे महत्वपूर्ण है। तेजप्रताप पहले भी यह संकेत दे चुके हैं कि वे “लालू-राबड़ी मोर्चा” जैसी कोई नई पार्टी बना सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो RJD को कुछ सीमित क्षेत्रों में भारी नुकसान हो सकता है, विशेषकर उन जगहों पर जहाँ तेजप्रताप की व्यक्तिगत पकड़ है।

क्या यह सब पहले से तय था?

कुछ जानकार मानते हैं कि यह पूरा घटनाक्रम तेजप्रताप की लगातार उपेक्षा और तेजस्वी के बढ़ते वर्चस्व का परिणाम है। पारिवारिक रिश्तों में दरार धीरे-धीरे पार्टी तक फैल गई।

सवाल यह भी है — क्या यह सब विवाह संबंधों से उत्पन्न हुआ तनाव का विस्तारित रूप है? क्या ऐश्वर्या प्रकरण के बाद परिवार तेजप्रताप से पूरी तरह मुंह मोड़ चुका था?

निष्कर्ष: तेजप्रताप की अगली राह क्या होगी?

  • नई पार्टी बनाएंगे?
  • किसी और पार्टी से गठजोड़ करेंगे?
  • निर्दलीय लड़ेंगे?
  • या सन्यास ले लेंगे?

इन सभी सवालों का जवाब आने वाले कुछ हफ्तों में मिल सकता है। लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति में एक बार फिर लालू परिवार चर्चा में है, और इस बार टूटन की वजह से, जोड़ की नहीं।

 

Bihar Desk
Author: Bihar Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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