हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को रात 12 बजे हुआ था। इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी के तौर पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार धूम केवल कृष्ण जन्म भूमि यानि मथुरा में ही नहीं, बल्कि देश भर के हर कोने में नजर आती है। लेकिन बार जन्माष्टमी की तिथि को लेकर काफी दुविधा है। कुछ लोगों का मानना है कि जन्माष्टमी 18 अगस्त को मनाई जाएगी, जबकि कुछ 19 अगस्त को मनाने की सलाह दे रहे हैं। जानते हैं क्या है कि कृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था और धर्म शास्त्रों के अनुसार उनका जन्म रात्रि में 12 बजे हुआ था। लेकिन इस साल अष्टमी तिथि 18 अगस्त को रात 9 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 19 अगस्त की रात को समाप्त होगी। ऐसे में कुछ विद्वानों का मानना है कि जन्माष्टमी का व्रत व पूजा 18 अगस्त को करना चाहिए क्योंकि कृष्ण भगवान का जन्म रात को हुआ था। जबकि कुछ विद्वानों का मत है कि व्रत व पूजन हमेशा उदयातिथि के अनुसार ही किए जाते हैं। ऐसे में जन्माष्टमी का व्रत व पूजा 19 अगस्त 2022 को ही होनी चाहिए। कृष्ण जन्माष्टमी का सबसे अधिक महत्व जन्मभूमि और द्वारकाधीश में है। इन दोनों जगहों पर जन्माष्टमी 19 अगस्त के दिन मनाई जाएगी।
इसके अलावा 19 अगस्त के दिन जन्माष्टमी इसलिए भी मनाई जाएगी क्योंकि इस अष्टमी तिथि पूरे दिन रहेगी और सूर्योदय भी इसी दिन होगा। हालांकि, लोग अपने मत व विश्वास के अनुसार 18 अगस्त या 19 अगस्त में से किसी भी दिन व्रत कर सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर पूरे दिन व्रत करें और फलाहार लें। इसके बाद भगवान कृष्ण के बाल स्वरुप बाल गोपाल को गंगाजल व दूध से स्नान कराएं और फिर नए वस्त्र पहनाएं। साथ ही उनका श्रृंगार भी करें। इस दिन भगवान बाल गोपाल को माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है। साथ ही पंजीरी का प्रसाद बनता है और गोपाल जी को झूला झूलाने की भी परंपरा है।