“खतरनाक फैसला” : मनी लांड्रिंग रोधी कानून को सुप्रीम कोर्ट की ‘हरी झंडी’ पर विपक्ष

224

नई दिल्‍ली : देश की करीब 17 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट के हाल के उस फैसले को “खतरनाक” करार दिया है जिसमें 2019 में मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) में किए गए संशोधनों को बरकरार रखा गया है जिससे प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसे एजेंसियों को ज्‍यादा अधिकार मिले हैं. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, सीपीआईएम, समाजवादी पार्टी और राष्‍ट्रीय जनता दल सहित कुछ अन्‍य पार्टियों के हस्‍ताक्षर वाले बयान में कहा गया है, “हमें उम्‍मीद है कि यह खतरनाक फैसला अल्‍पकालिक रहेगा और संवैधानिक प्रावधान जल्‍द ही लागू होंगे. ” गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्‍ताह अपने फैसले में संशोधित कानून के तहत ईडी को दी गई व्‍यापक शक्तियों की वैधता को बरकरार रखा था. . फैसले की समीक्षा के लिए विपक्षी दल फिर से सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं.

विपक्षी दलों ने कहा, ‘‘हम सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया आदेश के होने वाले दूरगामी असर को लेकर गहरी चिंता प्रकट करते हैं जिसमें शीर्ष्र अदालत ने धनशोधन निवारण कानून, 2002 में किए गए संशोधनों को पूरी तरह से बरकरार रखा तथा इसकी छानबीन नहीं की कि इनमें से कुछ संशोधन वित्त विधेयक के जरिये किए गए.”उन्होंने कहा, ‘‘अगर कल सुप्रीम कोर्ट वित्त विधेयक के जरिये हुए संशोधनों को कानून के लिहाज से गलत ठहरा दे तो पूरी कवायद बेकार हो जाएगी और न्यायपालिका का समय भी जाया होगा.”विपक्षी दलों ने कहा, ‘‘हम अपने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं और हमेशा करते रहेंगे. फिर भी हम इसका उल्लेख करने को बाध्य हुए हैं कि वित्त विधेयक के जरिये किए गए संशोधनों की वैधानिकता पर विचार करने वाली बड़ी खंडपीठ के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए था.”उन्होंने दावा किया कि इन संशोधनों ने उस सरकार के हाथ को मजबूत किया जो प्रतिशोध की राजनीति में लगी हुई है, इन संशोधनों का उपयोग करके अपने विरोधियों को शरारतपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण ढंग से निशाना बना रही है.विपक्षी दलों ने कहा, ‘‘हम इस बात से निराश हैं कि सर्वोच्च न्यायालय, जिसे कानून में जांच-परख और संतुलन के अभाव को लेकर स्वतंत्र फैसला देना चाहिए, उसने वस्तुत: उन दलीलों को फिर से सामने कर दिया जो इन संशोधनों के समर्थन में कार्यपालिका की ओर से रखी गईं थीं.”उन्होंने कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि यह ‘खतरनाक फैसला’ बहुत कम समय के लिए होगा और संवैधानिक प्रावधानों की जीत होगी.”

गौरतलब है कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट ( PMLA) के तहत ED द्वारा की गई गिरफ्तारी, जब्ती और जांच की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई को फैसला सुनाया था और PMLA मामलों में ED की शक्तियों को हरी झंडी दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा था कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. अपराध की आय, तलाशी और जब्ती, गिरफ्तारी की शक्ति, संपत्तियों की कुर्की और जमानत की दोहरी शर्तों के PMLA के कड़े प्रावधानों को SC ने बरकरार रखा था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here