जेल में बंद अस्मित के खिलाफ पुलिस ने दर्ज किए हैं कई मामल

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*फर्जी मामलों का रहा है पुराना रिकॉर्ड करोड़ों की गबन के अलावे भी कई संगीन मामलों का हो रहा खुलासा*
पटना।बिहार में अपराध की घटनाओं पर सख्ती से लगाम लगाने वाली पुलिस ने कई मौकों पर राज्य से बाहर भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। जिससे बिहार पुलिस का नाम रौशन हुआ है। उसी का ताजा उदाहरण है, अस्मित सिंह का केस। जो एक फर्जी कंपनी बनाकर करोड़ों के गबन के आरोप में जेल की सजा काट रहा है। मामला कुछ महीनें पहले का है जब बिहार पुलिस को इस मामले की जानकारी मिली और पटना के पाटलीपुत्रा थाना में केस दर्ज किया गया। उसके बाद बिहार पुलिस के हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी । दरअसल दिल्ली —एनसीआर के गुड़गांव में रहने वाले एक कारोबारी का उसके अपने ही कर्मचारी अस्मित सिंह ने 10 करोड़ से उपर की रकम का गबन कर लिया। उस कारोबारी की कंपनी एमएसडी टेलिमेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड को अस्मित सिंह ने फर्जी तरीके से अपनी कंपनी बता कर उसके समानांतर अपनी कंपनी आईएमजेड टेलिमेटिक्स कंपनी में मिला लिया। अपनी प्लानिंग के तहत फिर कंपनी द्वारा करोड़ों की गबन हुई। जब मामला प्रकाश में आया और केस दर्ज हुआ तब अस्मित दिल्ली के गुड़गांव में छिप गया था। इन दोनों कंपनियों की शाखा पटना में भी थी। जब कंपनी के मालिक को पता चला तो पटना कार्यालय के द्वारा पाटलिपुत्र थाना में गबन का केस दर्ज किया गया। पुलिस ने मामले की छनबीन शुरु की, लेकिन शुरुआती दौर में कामयाबी हासिल नहीं हुई। पाटलिपुत्र थाना के थाना अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार शाही ने जब कमान संभाली तो उनके निर्देश पर अस्मित को इलेक्ट्रानिक सर्विलांस की मदद से ट्रेस किया गया तो पता चला कि वह पटना नहीं बल्कि दिल्ली गुड़गांव में छिपा है। पटना पुलिस ने एक टीम गठित की और दिल्ली में छपेमारी कर आरोपी को पटना ले आयी और आगे की कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया। मामले पर एमएसडी के निदेशक सिद्धार्थ कसाना ने जानकारी दिया कि जब मैं विदेश से आया तो कंपनी का हिसाब मांगा। इस पर अस्मित ने मामले को दूसरी दिशाा में ले जाने की कोशिश की। मुझे हिसाब देने से बचता रहा। बाद में कंपनी से इस्तीफा देकर चला गया। जब मैनें कंपनी का कार्यभार संभाला तो मुझे घोटाले की जानकारी मिली। अस्मित ने मुझे धोखा दिया। अस्मित पर स्पेशल सेल ने एफआईआर किया है। खासबात है कि अस्मित पर ऐसे कई और संगीन मामले दर्ज हैं। जिसमें पुलिस ने कई फर्जी के आरोप लगाये हैं। बिहार, झारखंड व दिल्ली में भी उस पर मामले दर्ज हैं। नीचली अदालतों में उसने रिहाई के लिए आवेदन दिए जो नकार दिए गये हैं। अब उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जब 2020 में पहली बार अस्मित पर मामला दर्ज हुआ था। उस समय दिए गये कोर्ट के आदेश को भी इसने नहीं माना। कोर्ट ने अस्मित के बैंक खाते को फ्रिज करने का आदेश दिया था। उस समय उसके खाते में 14 करोड़ की राशि थी। मगर अदालत में उसने यह दलील दिया कि उसे बैंक से पैसे निकालने का आदेश दिया जाए ताकि वह अपनी कंपनी में कार्यरत कर्मियों को उनका वेतन दे सके। इस पर अदालत ने नर्मी दिखाते हुए कहा कि कंपनी के ​कर्मचारियों को वेतन देने के लिए जितनी रकम की जरुरत है। आप उतनी रकम निकाल लें। मगर अस्मित ने अपना पूरा धन निकाल लिया। अदालत ने उसे दूसरा बैंक खाता न खोलने का आदेश दिया था। मगर उसने पुराने खाते से नये खाते में धन डाल लिया। जिस पर न्यायालय के अनुसार अवमानना का मामला भी बनता है। इतना ही नहीं इस पेशेवर फर्जी में लिप्त रहने वाले अपराधी के पास से पुलिस ने इसके कई फर्जी डाक्यूमेंट्स व पहचान पत्र भी बरामद किए हैं। इतना ही नहीं इसकी पत्नि हरलीन कौर का नाम भी फर्जी है। वह पहले सिराजा बानो हुआ करती थी। उनकी भी दो पहचान है। पैन व आधार में डबल पहचान है। साथ ही पुलिस के अनुसार उनकी पत्नि का कनेक्शन पुलवामा के बुरहान बानी से है।

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