शिक्षा असली ताक़त असली तालीम जब ज्ञान दिलों को जोड़ता है, तब बनता है नया भारत”

“शिक्षा – असली ताक़त, असली तालीम”(ज्ञान जो बदल दे इंसान को, जो जोड़े दिलों को)

एशियन टाइम्स ब्यूरो रिपोर्ट ✍️ @ एम. एच. के.

ग्रेटर नोएडा।

शिक्षा केवल डिग्री या नौकरी पाने का साधन नहीं, बल्कि वह दीपक है जो अंधकार मिटाकर इंसानियत की राह रोशन करता है। आज जब दुनिया आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI), डिजिटल क्लासरूम और ऑनलाइन लर्निंग की ओर बढ़ रही है, तब “तालीम” की परिभाषा पहले से कहीं अधिक गहरी, मानवीय और विचारशील हो चुकी है।

भारत वर्ष 2025 में 77.7% साक्षरता दर तक पहुँच चुका है। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक यह आंकड़ा 90% तक पहुँचे। शिक्षा के इस सफर में सरकार की कई योजनाएँ — जैसे PM e-Vidya, SWAYAM, DIKSHA Portal, और PM SHRI Schools — ने गाँव और शहरों के बीच की दूरी मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश के 14 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में अब स्मार्ट क्लासरूम, ई-लर्निंग और डिजिटल कंटेंट की सुविधाएँ दी जा रही हैं।

लेकिन असली “तालीम” केवल तकनीक का नाम नहीं है —

यह एक सोच, एक नज़रिया, और एक जीवन-दर्शन है।

सच्ची शिक्षा वही है जो इंसान को सोचने, समझने, और दूसरों के लिए कुछ करने का हौसला दे।

कुरआन में अल्लाह तआला फरमाते हैं:

“क्या जानने वाला और न जानने वाला बराबर हो सकता है?”

(सूरह अज़-ज़ुमर 39:9) पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ ने फरमाया:

“इल्म हासिल करना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फ़र्ज़ है।”

(सुनन इब्न माजा, हदीस 224) उसी तरह भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं:

“इस संसार में ज्ञान जैसा पवित्र कुछ नहीं।” (गीता 4:38)

यह ज्ञान ही वह शक्ति है जो हमें भेदभाव से ऊपर उठकर करुणा, समानता और मानवता का पाठ पढ़ाता है।

नई शिक्षा नीति के साथ नया भारत

नई शिक्षा नीति 2020 (NEP) के तहत भारत के युवा अब नए युग के निर्माता बन रहे हैं।

स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, और स्किल इंडिया जैसी योजनाओं ने शिक्षा को रोज़गार, नवाचार और राष्ट्रीय विकास से जोड़ा है।

अब बच्चे सिर्फ़ पारंपरिक विषय नहीं पढ़ रहे, बल्कि AI, रोबोटिक्स, साइबर सुरक्षा, ग्रीन टेक्नोलॉजी और सस्टेनेबल डेवलपमेंट जैसे विषय उनके सिलेबस का हिस्सा बन चुके हैं।

यह वही पीढ़ी है जो पढ़ाई को केवल करियर नहीं, बल्कि देश सेवा मानती है।

तकनीक का ज़िम्मेदार इस्तेमाल ज़रूरी

आज की डिजिटल दुनिया में ज्ञान और भ्रम — दोनों की भरमार है।

सोशल मीडिया पर “जानकारी” और “गलत जानकारी” का फर्क समझना भी एक नई शिक्षा है।

सच्ची तालीम यह सिखाती है कि इंसान सही को पहचाने और गलत से बचे।जब एक बच्चा स्कूल के दरवाज़े से भीतर जाता है,

तो वह केवल किताबें नहीं खोलता — एक नया भविष्य खोलता है।और जब एक शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर लिखता है,

तो वह केवल अक्षर नहीं लिखता, बल्कि एक नया भारत गढ़ता है। “जहाँ तालीम दिलों को जोड़े, वहीं से असली भारत की शुरुआत होती है।”

Asian Times | Education Special Report

 

 

 

 

Noida Desk
Author: Noida Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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