ग्रेटर नोएडा, एशियन टाइम्स ब्यूरो रिपोर्ट
शारदा यूनिवर्सिटी (Sharda University) की मेडिकल छात्रा की आत्महत्या का मामला अब एक गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। घटना के बाद अब छात्रा की करीबी दोस्त ने जो खुलासे किए हैं, वह न केवल विश्वविद्यालय के माहौल पर सवाल खड़े कर रहे हैं बल्कि शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी पर भी गंभीर बहस छेड़ रहे हैं।
क्या था पूरा मामला?
मेडिकल की पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने हाल ही में आत्महत्या कर ली, जिससे पूरे ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में सनसनी फैल गई। शुरुआती जांच में पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था, लेकिन अब छात्रा की एक क्लासमेट ने “ऑफ द कैमरा” बताया कि जिस दिन यह हादसा हुआ, उस दिन क्लास में छात्रा को अपमानित किया गया था।
टीचर ने फेंका प्रोजेक्ट, किया क्लास से बाहर!
छात्रा की दोस्त के अनुसार, छात्रा ने एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट तैयार किया था जिसे वह काफी उम्मीद के साथ प्रेजेंट करने गई थी। लेकिन संबंधित टीचर ने उस प्रोजेक्ट को “अस्वीकृत” बताते हुए उसे पूरे क्लास के सामने फेंक दिया और छात्रा को क्लास से बाहर कर दिया।
“वो बहुत भावुक हो गई थी। उसने कहा था कि इतनी मेहनत के बाद भी अगर ऐसा होगा तो क्या फायदा पढ़ाई का,” – छात्रा की दोस्त
मानसिक दबाव की अनदेखी?
घटना के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन और शिक्षक छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर पर्याप्त ध्यान दे रहे हैं? क्या ऐसे अपमानजनक व्यवहार की विश्वविद्यालय में कोई शिकायत प्रक्रिया या मनोवैज्ञानिक सहायता उपलब्ध है?
सीसीटीवी में दर्ज आखिरी पल
सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय में लगे कैमरे में छात्रा की मूवमेंट को रिकॉर्ड किया गया है। वह क्लास से सीधे हॉस्टल गई थी और कमरे में बंद हो गई। अगले कुछ घंटों में ही यह दर्दनाक हादसा हुआ।
क्या कहता है विश्वविद्यालय प्रशासन?
शारदा यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस विषय में जांच के आदेश दिए हैं। आधिकारिक बयान में कहा गया है:
“हम छात्रा की असामयिक मृत्यु से दुखी हैं। विश्वविद्यालय पूरे मामले की जांच कर रहा है और परिवार को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
परिवार की मांग: न्याय और जवाबदेही
छात्रा के परिजनों का कहना है कि उनकी बेटी ने कभी ऐसे कदम की बात नहीं की थी। वह पढ़ाई को लेकर गंभीर और मेहनती थी। उन्होंने शिक्षकों की भूमिका की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
एशियन टाइम्स की अपील:
इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई के दबाव के बीच छात्रों का मानसिक संतुलन किस कदर बिगड़ सकता है। शिक्षकों और संस्थानों की जिम्मेदारी बनती है कि वे संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करें और समय रहते भावनात्मक सहयोग प्रदान करें।
अगर आप इस विषय पर अपने विचार या जानकारी साझा करना चाहते हैं तो हमें [Asian Times WhatsApp Helpline] पर लिखें।
रिपोर्ट: एशियन टाइम्स ब्यूरो
स्थान: ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश
प्रकाशित: 20 जुलाई 2025

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)