@tanvir alam sheikh
पटना, बिहार – सरकारी दावों के अनुसार, दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) से संबंधित किसी भी आवेदन को अस्वीकृत करने से पूर्व सुनवाई की व्यवस्था है, और इसका कड़ाई से पालन किया जा रहा है। यदि इसका पालन नहीं होता, तो संबंधित राजस्व कर्मियों के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है।
लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे काफी अलग नज़र आती है। आम जनता का आरोप है कि बिहार में ज़मीन संबंधी मामलों में भारी भ्रष्टाचार व्याप्त है। अधिकारियों और कर्मचारियों पर बिना पैसे लिए रसीद जारी न करने, न ही रिपोर्ट दिखाने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं।
लोगों का कहना है कि कई बार बिना किसी वैध कागजात के भी ज़मीन की रसीद ऑनलाइन काट दी जाती है। सिर्फ “डाली” (दलाली) का काम होता है, और इसी के दम पर लोग नकली कागज़ात बनवाकर ज़मीन की रजिस्ट्री करवा लेते हैं।
असली ज़मीन मालिकों को किया जा रहा है दरकिनार
इस प्रक्रिया में यह सुनिश्चित नहीं किया जाता कि असली ज़मीन मालिक कौन है और क्या उसने ज़मीन किसी को बेची है या नहीं। सरकार का ध्यान केवल रजिस्ट्री कराने पर रहता है, जिससे ज़मीन विवाद बढ़ते जा रहे हैं।
इसकी वजह से पूरे बिहार में ज़मीन को लेकर हत्या जैसे गंभीर अपराध हो रहे हैं — खासकर पटना, फुलवारी और अन्य क्षेत्रों में। आम नागरिकों के लिए ज़मीन ही मुख्य वजह बनती जा रही है जो विभिन्न विवादों और हिंसा का कारण बन रही है।
फर्जी डीड रद्द कराना भी बना बड़ी चुनौती
इस भ्रष्ट व्यवस्था का फायदा भूमाफिया खुलेआम उठा रहे हैं। जब एक बार ज़मीन की फर्जी रजिस्ट्री हो जाती है, तो आम जनता के लिए उसे रद्द कराना अत्यंत कठिन हो जाता है। यहां तक कि जब मामला अदालत में पहुँचता है, तब भी फ़ैसले में वर्षों लग जाते हैं।
इस देरी और जटिल प्रक्रिया के चलते भूमाफिया लोगों की ज़मीन हड़पकर बड़े सौदे करते हैं और मोटी रकम कमाते हैं। गरीब और अशिक्षित लोग न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
सरकार को उठाना होगा ठोस कदम
अब समय आ गया है कि नीतीश सरकार इस गंभीर समस्या को लेकर ठोस और पारदर्शी कदम उठाए। ज़मीन सर्वेक्षण में वास्तविक मालिक और उनके परिवार को उनका हक़ मिलना चाहिए।
सरकार को चाहिए कि वह रजिस्ट्री प्रक्रिया में सुधार करे, ऑनलाइन सिस्टम में पारदर्शिता लाए और फर्जी डीड पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाए। साथ ही, विशेष न्यायालय की स्थापना हो, जो ज़मीन विवादों का त्वरित निपटारा कर सके।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)