बिहार में आत्महत्या के बढ़ते मामले: IGIMS के डॉक्टर की आत्महत्या ने फिर खड़े किए सवाल
पटना के IGIMS डॉक्टर ने की आत्महत्या
पटना स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में वरिष्ठ डॉक्टर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मंगलवार को उनका शव उनके घर के कमरे में मिला। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने अपनी जांच शुरू कर दी। यह मामला सिर्फ एक घटना तक सीमित नहीं है, बल्कि बिहार में आत्महत्या के बढ़ते मामलों की गंभीर समस्या को उजागर करता है।
इस मामले में शुरुआती जांच से यह संकेत मिलता है कि डॉक्टर मानसिक तनाव से जूझ रहे थे। पुलिस ने उनके परिजनों और सहकर्मियों से बातचीत शुरू कर दी है, ताकि आत्महत्या के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके। इस घटना ने स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले पेशेवरों की मानसिक स्थिति और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को भी चर्चा में ला दिया है।
बिहार में आत्महत्या की घटनाओं का बढ़ता आंकड़ा
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में आत्महत्या के मामले हर साल बढ़ते जा रहे हैं। 2023 में दर्ज आत्महत्या के मामलों में 15% की वृद्धि हुई। इनमें से बड़ी संख्या छात्रों, किसानों और स्वास्थ्यकर्मियों की है। यह घटना बिहार में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट को सामने लाती है।
डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी क्यों बन रहे हैं आत्महत्या के शिकार? IGIMS के डॉक्टर की आत्महत्या अकेली घटना नहीं है। हाल के वर्षों में, बिहार और अन्य राज्यों में कई डॉक्टरों ने आत्महत्या की है। इसके पीछे के मुख्य कारणों में शामिल हैं:
मानसिक दबाव: लंबी ड्यूटी और कार्यभार का बढ़ता दबाव। सामाजिक अपेक्षाएं: डॉक्टरों से हमेशा बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है। आर्थिक तंगी: निजी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों को पर्याप्त वेतन नहीं मिलता। मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी: डॉक्टर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं बना पाते। हालिया आत्महत्या के प्रमुख मामले
1. गया का मामला: कुछ महीने पहले, गया जिले में एक मेडिकल छात्र ने परीक्षा के दबाव में आत्महत्या कर ली।
2. बेगूसराय की घटना: एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ने मरीजों और प्रशासन के दबाव से परेशान होकर आत्महत्या कर ली।
3. भागलपुर की घटना: भागलपुर में एक युवा डॉक्टर ने निजी कारणों से आत्महत्या की।
आत्महत्या की रोकथाम के लिए उपाय
बिहार सरकार और समाज को आत्महत्या रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
1. मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता:
सरकार को हर जिले में काउंसलिंग सेंटर खोलने चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलानी चाहिए।
2. डॉक्टरों का समर्थन:
डॉक्टरों के लिए कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन और मेंटल हेल्थ सपोर्ट की व्यवस्था होनी चाहिए।
3. शिक्षा और जागरूकता: छात्रों और युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य की शिक्षा देना आवश्यक है।
4. हेल्पलाइन नंबर: 24/7 हेल्पलाइन नंबर सक्रिय करने की आवश्यकता है ताकि जरूरतमंद तुरंत मदद ले सकें।
बिहार सरकार ने इस मामले पर गंभीरता से ध्यान देने का आश्वासन दिया है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। इसके अलावा, IGIMS प्रबंधन ने एक आंतरिक समिति का गठन किया है, जो डॉक्टर की आत्महत्या के कारणों की जांच करेगी।
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य: डॉक्टरों की पीड़ा
IGIMS जैसी प्रतिष्ठित संस्थान में काम करने वाले डॉक्टरों से समाज हमेशा उच्च स्तर की सेवा की अपेक्षा करता है। लेकिन इन डॉक्टरों पर परिवार, समाज, और पेशेवर जीवन का दबाव एक बड़ी चुनौती बन जाता है। आत्महत्या के बढ़ते मामले इस बात का संकेत हैं कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना जरूरी है।
बिहार में आत्महत्या की घटनाएं केवल व्यक्तिगत विफलताओं का नतीजा नहीं हैं, बल्कि यह सामूहिक रूप से मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न देने की सामाजिक असफलता है। IGIMS के डॉक्टर की आत्महत्या इस गंभीर समस्या की ओर इशारा करती है। इसे रोकने के लिए सरकार, संस्थानों और समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे।
रिपोर्टर: तनवीर आलम