बिहार पुलिस और लैंड माफिया: न्याय के नाम पर अत्याचार?

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बिहार पुलिस और लैंड माफिया: न्याय के नाम पर अत्याचार?

बिहार में प्रशासन और पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठते रहे हैं, लेकिन जब कानून के रक्षक ही माफिया के साथ मिलकर आम जनता को प्रताड़ित करने लगें, तो यह स्थिति और भी भयावह हो जाती है। पटना के फुलवारी थाना क्षेत्र में ऐसी ही एक घटना सामने आई है, जहाँ एक ज़मीन विवाद में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है।मामला क्या है?

फुलवारी थाना क्षेत्र के नोहासा में एक ज़मीन को लेकर विवाद चल रहा है, जिसका मामला कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन, कोर्ट का फ़ैसला आने से पहले ही स्थानीय पुलिस और कथित लैंड माफिया मिलकर ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। आरोप है कि पुलिस ने पैसों के लेन-देन के बाद ज़मीन पर ज़बरदस्ती निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया।

ज़मीन के मालिक ने अपने होशो-हवास में 2014 में अपने एक बेटे को पावर ऑफ अटॉर्नी देकर मामले की देखरेख करने की ज़िम्मेदारी दी थी। लेकिन तब से लेकर अब तक उन्हें बार-बार झूठे मामलों में फंसाया गया। यहाँ तक कि गोलीबारी की घटनाएँ भी हुईं, लेकिन पुलिस ने कोई सख्त कार्रवाई नहीं की।

अब जब मामला और गंभीर हो गया, तो आरोप है कि फुलवारी थाना के कुछ पुलिसकर्मियों ने लैंड माफिया के साथ मिलकर ज़मीन के मालिक पर ही दबाव बनाना शुरू कर दिया। परिवार को जान से मारने की धमकियाँ दी गईं और प्रशासन ने ज़मीन का एक हिस्सा छोड़ने के लिए मजबूर करने की कोशिश की।

पुलिस की संदिग्ध भूमिका

सूत्रों के अनुसार, फुलवारी थाना के एक अधिकारी, सुफियान खान, पर गंभीर आरोप लगे हैं। कहा जा रहा है कि उन्होंने जानबूझकर मामले की सही जांच नहीं की और लैंड माफिया की तरफदारी की। पहले इस मामले की जांच थाना के ही दूसरे अधिकारी जानिशार कर रहे थे, लेकिन बाद में यह केस सुफियान खान को दे दिया गया।

पीड़ित पक्ष का आरोप है कि सुफियान खान ने कोई निष्पक्ष जांच करने के बजाय एक फर्जी मामला दर्ज करवा दिया। 9 मार्च 2025 को एक नए केस को जानबूझकर दर्ज करवाया गया, जिसमें कोई ठोस आधार नहीं था। यह भी कहा जा रहा है कि पुलिस घर-घर जाकर लोगों को थाने बुला रही है और धमकियाँ दे रही है।

डीजीपी के आने के बाद माफियाओं में डर, लेकिन पुलिस अब भी मिली हुई?

हाल ही में बिहार के नए डीजीपी विनय कुमार के पदभार संभालने के बाद अपराधियों में खौफ का माहौल बना था। लेकिन फुलवारी थाना में जिस तरह से पुलिस खुद माफिया के साथ मिली हुई नजर आ रही है, उससे यह साफ है कि राज्य की कानून-व्यवस्था में अब भी गंभीर खामियां हैं।

इस पूरे मामले की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग Asian Times के पास मौजूद है, जिसमें कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों और माफियाओं के बीच मिलीभगत की पुष्टि होती है।

क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ‘सुशासन’ फेल हो रहा है?

बिहार सरकार लंबे समय से ‘सुशासन’ की बात करती आई है, लेकिन इस तरह के मामलों से साफ होता है कि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। अगर पुलिस ही अपराधियों के साथ मिलकर आम नागरिकों पर अत्याचार करेगी, तो जनता इंसाफ के लिए कहाँ जाएगी?

यह मामला प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। पीड़ित परिवार को सुरक्षा मिले और दोषी अधिकारियों और माफियाओं पर सख्त कार्रवाई हो—यही न्याय का तकाज़ा है। बिहार सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों को सजा दिलाए, ताकि जनता का विश्वास कानून-व्यवस्था पर बना रहे।

@tanvir alam sheikh 

(Asian Times इस मामले से जुड़े सभी अपडेट्स देता रहेगा।)

 

 

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