प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामुदायिक पुस्तकालय बनाने का अभिनव विचार: पढ़ने की आदत विकसित

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पीएम मोदी के इस विचार से न केवल प्रिंट मीडिया को पुनर्जीवन मिलेगा, बल्कि यह ग्रामीण भारत में शिक्षा और सामाजिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामुदायिक पुस्तकालय बनाने का अभिनव विचार: पढ़ने की आदत विकसित करने की पहल

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के छोटे-छोटे गांवों और कस्बों में पढ़ने की आदत और सामुदायिक चर्चा की परंपरा विकसित करने के लिए एक अनूठी पहल का सुझाव दिया है। केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने सोमवार को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर “मोदी स्टोरी” हैंडल के जरिए साझा किए गए एक वीडियो में प्रधानमंत्री का यह प्रेरक संदेश दिया। इस वीडियो में, पीएम मोदी ने पुस्तकों, पत्रिकाओं और समाचार पत्रों जैसे संसाधनों की असीम शक्ति का उल्लेख किया, जिन्हें अक्सर पढ़ने के बाद बेकार मान लिया जाता है।

प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि सांसद और नागरिक इन सामग्रियों का पुनः उपयोग छोटे सामुदायिक पुस्तकालयों को स्थापित करने के लिए कर सकते हैं। यह विचार विशेष रूप से उन स्थानों के लिए है, जहां पढ़ने के संसाधनों तक पहुंच सीमित है। इस पहल से न केवल पढ़ने की आदत विकसित होगी, बल्कि सामाजिक जुड़ाव और ज्ञानवर्धक चर्चाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।

सामुदायिक पुस्तकालय बनाने की प्रक्रिया

पीएम मोदी ने सांसदों से अपील की कि वे पुराने समाचार पत्र, पत्रिकाएं और पुस्तकें एकत्र करें और उन्हें ऐसे सार्वजनिक स्थानों पर रखें, जहां लोग इन्हें पढ़ सकें। इस पहल को गांवों और कस्बों के लिए उपयुक्त बताते हुए, उन्होंने कहा कि छोटे गांवों में ऐसे स्थान आसानी से मिल सकते हैं, जहां 10-20 लोग बैठकर एक साथ पढ़ सकें।

स्थानीय समुदाय की भागीदारी:

1. स्थान का चयन: छोटे गांवों या कस्बों में पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र, या अन्य सार्वजनिक स्थानों को चुना जा सकता है।

2. पुस्तकों और पत्रिकाओं का संग्रह: नागरिक, शिक्षक और विद्यार्थी पुराने पत्र-पत्रिकाएं दान कर सकते हैं।

3. सुविधाएं: मेज और कुर्सियां लगाकर इसे एक आकर्षक और आरामदायक स्थान बनाया जा सकता है।

4. आदत विकसित करना: लोग सुबह या शाम यहां आएं, पढ़ने की आदत डालें और आपस में विचार साझा करें।

प्रधानमंत्री का यह सुझाव न केवल शिक्षा और ज्ञान के प्रसार का एक माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक एकजुटता को भी प्रोत्साहित करता है।

पढ़ने की आदत और डिजिटल युग में बदलाव डिजिटल युग के आगमन के साथ, समाचार और जानकारी के उपभोग के तरीके में बड़ा बदलाव आया है। हालांकि, प्रिंट मीडिया की अहमियत आज भी बरकरार है। पीएम मोदी ने इस संदर्भ में बताया कि पुरानी पुस्तकों और समाचार पत्रों का उपयोग पढ़ने और सीखने की आदत को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।

लेकिन, डिजिटल युग के कारण, पारंपरिक प्रिंट मीडिया को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की बिक्री में कमी आई है, और इसका असर मीडिया से जुड़े रोजगार पर भी पड़ा है।

मीडिया उद्योग में डिजिटल युग का प्रभाव

1. डिजिटल मीडिया का उदय:

डिजिटल मीडिया ने सूचना के प्रसार को तेज और सुलभ बनाया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और डिजिटल न्यूज पोर्टल्स ने पारंपरिक प्रिंट मीडिया को पीछे छोड़ दिया है।

2. प्रिंट मीडिया में गिरावट:

समाचार पत्रों की बिक्री में गिरावट आई है।

कई मीडिया घरानों को अपने कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी है।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापनों का जोर बढ़ गया है, जिससे प्रिंट मीडिया का राजस्व कम हुआ है।

3. विश्वसनीयता का सवाल:

डिजिटल और प्रिंट मीडिया के बीच की खाई ने लोगों के बीच विश्वास की कमी को बढ़ा दिया है। अब पाठक यह तय नहीं कर पाते कि कौन सा माध्यम अधिक विश्वसनीय है।

प्रधानमंत्री की पहल का प्रभाव

पीएम मोदी के इस विचार से न केवल प्रिंट मीडिया को पुनर्जीवन मिलेगा, बल्कि यह ग्रामीण भारत में शिक्षा और सामाजिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।

1. पढ़ने की आदत का विकास:

यह पहल लोगों को पढ़ने की आदत डालने में मदद करेगी।

2. सामाजिक एकजुटता:

सामुदायिक पुस्तकालय चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के केंद्र बनेंगे।

3. शिक्षा का विस्तार:

जो लोग पढ़ने के संसाधनों से वंचित हैं, उन्हें शिक्षा का नया माध्यम मिलेगा।

4. मीडिया उद्योग को सहारा: पुरानी पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं के पुनः उपयोग से प्रिंट मीडिया को एक नई दिशा मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सामुदायिक पुस्तकालय बनाने का विचार शिक्षा, सामाजिक जुड़ाव और राष्ट्रीय विकास के लिए एक बड़ी पहल है। यह न केवल ग्रामीण भारत में पढ़ने की आदत को बढ़ावा देगा, बल्कि सामुदायिक एकजुटता और ज्ञानवर्धन का माध्यम भी बनेगा।

इस पहल के सफल कार्यान्वयन से न केवल प्रिंट मीडिया को सहारा मिलेगा, बल्कि यह राष्ट्र के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।

रिपोर्टर: तनवीर आलम शेख

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