पटना के नए कमिश्नर डॉ. चंद्रशेखर सिंह — सख्त प्रशासक या विवादों में उलझा अफसर?

📰 एशियन टाइम्स ब्यूरो @ तनवीर आलम शेख

बिहार की राजधानी पटना को एक नया कमिश्नर मिला है — डॉ. चंद्रशेखर सिंह। 2010 बैच के बिहार कैडर के इस IAS अधिकारी को पटना का डीएम रहते हुए दो बार सेवा देने का अनुभव है और अब उन्हें प्रमोट कर पटना डिवीजन का कमिश्नर बनाया गया है। उनकी पहचान एक सख्त, अनुशासित और निर्णय लेने में तेज़ अफसर के रूप में है। लेकिन वहीं, कई बार उनकी कार्रवाइयों पर सवाल भी उठे हैं।

सकारात्मक पहलू: विकास के लिए कटिबद्ध प्रशासनिक अफसर

  • शीतलहर में स्कूल बंद करने का निर्णय: जनवरी 2024 में जब प्रदेश सरकार ने स्कूल खोलने का निर्देश दिया था, तब चंद्रशेखर सिंह ने बच्चों की जान को प्राथमिकता देते हुए स्वतंत्र रूप से स्कूल बंद करने का आदेश जारी कर दिया। यह कदम बच्चों के माता-पिता और आम जनता के बीच प्रशंसा का कारण बना।
  • कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई: पटना के कई बेसमेंट में चल रहे गैर-कानूनी कोचिंग संस्थानों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए उन्होंने सीलिंग अभियान चलाया। यद्यपि बाद में जांच में ऐसा कोई कोचिंग सेंटर नहीं मिला, फिर भी यह कार्य उनकी “सुरक्षा के प्रति तत्परता” को दर्शाता है।
  • CM कार्यालय में विशेष सचिव: उनकी पिछली जिम्मेदारियों में मुख्यमंत्री सचिवालय में कार्य करना शामिल है, जहां उन्होंने सीधे प्रशासनिक निर्णयों की प्रक्रिया में भाग लिया। यह अनुभव उन्हें नीति निर्धारण और कार्यान्वयन दोनों में मजबूत बनाता है।

 तानाशाही रवैया और जनभावनाओं की अनदेखी?

  • BPSC अभ्यर्थी को थप्पड़ कांड: सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब पटना में BPSC पेपर लीक के विरोध में प्रदर्शन कर रहे एक अभ्यर्थी को उन्होंने सरेआम थप्पड़ मार दिया। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हुई और कई लोगों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया।
  • एकतरफा फैसलों की आलोचना: कई बार उन पर बिना पर्याप्त जांच के कार्रवाई करने के आरोप लगे हैं। जैसे कोचिंग सेंटर की सीलिंग कार्रवाई, जिसे बाद में ही निरस्त करना पड़ा। इससे यह सवाल उठा कि क्या वे अपनी शक्ति का अधिक प्रयोग कर रहे हैं?
  • शिक्षा विभाग से टकराव: स्कूल बंद करने के फैसले में राज्य शिक्षा विभाग की नीतियों को दरकिनार कर उन्होंने अपना आदेश लागू किया। जबकि निर्णय सही था, तरीका विवादस्पद रहा। 

जनता और अफसरशाही में मिश्रित राय

जहां एक तरफ आम जनता का एक वर्ग उन्हें जनहित में साहसी निर्णय लेने वाला अधिकारी मानता है, वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक हलकों में और छात्र संगठनों में उन्हें “तानाशाही” प्रवृत्ति वाला अफसर भी करार दिया जाता है।

“चंद्रशेखर सिंह का कार्यशैली एकतरफा है, लेकिन कई बार यही दृढ़ता बिहार जैसे राज्य में जरूरी हो जाती है।” – एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी (नाम गोपनीय)

 डॉ. चंद्रशेखर सिंह – एक दोधारी तलवार

डॉ. चंद्रशेखर सिंह जैसे अफसर सिस्टम को झकझोरते हैं – उनके निर्णय तेज़ और दृढ़ होते हैं, लेकिन इन निर्णयों की लोकतांत्रिक शुचिता और मानवीयता के तराजू पर जांच जरूरी हो जाती है। पटना कमिश्नर के रूप में उनकी नई भूमिका में यही देखा जाएगा कि वे कठोरता और संवेदनशीलता के बीच कितना संतुलन बना पाते हैं।

 

Bihar Desk
Author: Bihar Desk

मुख्य संपादक (Editor in Chief)

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