IVF की आड़ में काला कारोबार: बिहार और उत्तर प्रदेश में निःसंतान माता-पिता का भावनात्मक शोषण
✍️ रिपोर्ट: तनवीर आलम शेख, चीफ़ रिपोर्टर – Asian Times
पटना/लखनऊ – भारत में मेडिकल तकनीक के बढ़ते कदमों के साथ IVF यानी टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी तकनीक ने लाखों निःसंतान दंपत्तियों के जीवन में आशा की किरण जगाई है। लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश में इस तकनीक की आड़ में एक खौफनाक और शर्मनाक सच्चाई सामने आ रही है। कई प्राइवेट अस्पताल और क्लीनिक IVF के नाम पर मासूम माता-पिता का भावनात्मक, मानसिक और आर्थिक शोषण कर रहे हैं।
Asian Times की खोजी टीम को मिली जानकारी के अनुसार, पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, वाराणसी, गोरखपुर, और प्रयागराज जैसे शहरों में कुछ अस्पताल IVF प्रक्रिया के नाम पर दंपत्तियों से लाखों रुपये वसूलते हैं। बच्चे को दिखाने से पहले ही उन्हें कहा जाता है कि ‘पूरा पेमेंट नहीं हुआ है’, और फिर उन्हें डराया जाता है कि अगर पैसा नहीं दिया तो ‘बच्चा हॉस्पिटल की कस्टडी में रहेगा’।
कई मामलों में अस्पताल प्रशासन माता-पिता को कानूनी केस, पुलिस कार्रवाई और मीडिया में बदनाम करने की धमकी देता है। मजबूरी में माता-पिता घर, जमीन, जेवर और यहां तक कि गाड़ी बेचने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन डर और शर्म के कारण वे सामने नहीं आ पा रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि IVF एक संवेदनशील और महंगी प्रक्रिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इसका इस्तेमाल ठगी और भावनात्मक शोषण के लिए किया जाए। IVF क्लीनिक चलाने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुमति, प्रशिक्षित डॉक्टर, एम्ब्रायोलॉजिस्ट और नियामक बॉडी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। हर जिले में IVF क्लीनिकों की जांच होनी चाहिए, और अवैध सेंटरों को बंद किया जाना चाहिए।
Asian Times जल्द ही इन घटनाओं से जुड़े दस्तावेज़, ऑडियो रिकॉर्डिंग और पीड़ितों के बयान सार्वजनिक करेगा ताकि यह साबित हो सके कि IVF की आड़ में एक संगठित लूट मचाई जा रही है।
यदि सरकार और प्रशासन अब भी नहीं जागे, तो यह लूट और दर्द का सिलसिला न जाने कितनी और ज़िंदगियों को बर्बाद कर देगा।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)