संकट में तेजस्वी यादव ,सीबीआई ने उनकी जमानत रद्द करने के लिए कोर्ट में अर्जी लगायी

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संकट में तेजस्वी यादव ,सीबीआई ने उनकी जमानत रद्द करने के लिए कोर्ट में अर्जी लगायी

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव बड़ी मुसीबत में फंसते नजर आ रहे हैं. CBI ने तेजस्वी यादव की जमानत रद्द करने के लिए कोर्ट में अर्जी लगायी है. कोर्ट ने अगर CBI की अर्जी मंजूर कर ली तो तेजस्वी प्रसाद यादव को जेल जाना पड़ सकता है. सीबीआई की अर्जी के बाद सीबीआई की स्पेशल जज गीतांजली गोयल ने तेजस्वी यादव को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने तेजस्वी से जवाब मांगा है कि क्यों नहीं उनकी जमानत रद्द कर दी जाये।

सीबीआई की अर्जी के बाद सीबीआई की स्पेशल जज गीतांजली गोयल ने तेजस्वी यादव को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने तेजस्वी से जवाब मांगा है कि क्यों नहीं उनकी जमानत रद्द कर दी जाये। CBI सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने IRCTC घोटाले में जमानत पर रिहा हुए तेजस्वी की जमानत रद्द करने के लिए याचिका दायर की है. बता दें कि IRCTC टेंडर घोटाला मामले में तेजस्वी 2018 से जमानत पर हैं.

सीबीआई तेजस्वी यादव समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है. इन धाराओं में तेजस्वी के लिए काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है. कोर्ट में इस मामले के ट्रायल के दौरान पर्याप्त सबूत और गवाह सामने आते हैं तो तेजस्वी यादव को 7 साल तक की सजा हो सकती है.  फिलहाल 2018 से वे इस मामले में जमानत पर चल रहे हैं. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने IRCTC घोटाले में तेजस्वी   के साथ साथ उनकी मां राबड़ी देवी को जमानत दे दी थी।

क्या है IRCTC घोटाला

सीबीआई ने IRCTC घोटाला में 14 लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है. इस मामले में पहले से ही आठ लोगों के नाम दर्ज थे, जिसमें 6 अन्य नाम भी जोड़े गए हैं. आईआरसीटीसी घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव का नाम भी शामिल है. तेजस्वी यादव के खिलाफ पहली बार चार्जशीट फाइल की गई है।

क्या है पूरा मामला?

मामला तब का है जब लालू यादव केंद्र की यूपीए सरकार में रेल मंत्री हुआ करते थे. तब यानि 2004 से 2009 के बीच आईआरसीटीसी के पुरी और रांची स्थित होटल को रख-रखाव और इम्प्रूवमेंट के लिए को ट्रांसफर किया था. सीबीआई का आरोप है कि रेलवे के होटल को लीज पर देने का ठेका विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दिए गए थे. टेंडर प्रॉसेस में नियम-कानून को ताक पर रख दिया गया था।

 सीबीआई का आरोप है कि रेलवे के होटल लेने के लिए 25 फरवरी 2005 को कोचर ने पटना की बेली रोड स्थित 3 एकड़ जमीन लालू परिवार के करीबी प्रेम गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (डीएमसीएल) को 1.47 करोड़ रुपए में बेच दी जबकि बाजार में इसकी कीमत काफी ज्यादा थी. इस जमीन को कृषि भूमि बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेचा गया औऱ स्टाम्प ड्यूटी में भी काफी गड़बड़ी की गई।

सीबीआई कह रही है कि बाद में इसी जमीन को लालू फैमिली की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दी गई. जबकि सर्कल रेट के मुताबिक उस समय इस जमीन की कीमत लगभग 32 करोड़ रूपये औऱ मार्केट रेट 94 करोड़ रुपए था. सीबीआई ने कहा है कि कोचर ने जिस दिन ज़मीन सरला गुप्ता की कंपनी को बेची उसी दिन रेलवे बोर्ड ने आईआरसीटीसी को उसे बीएनआर होटल्स सौंपे जाने के अपने फैसले के बारे में बताया।

सीबीआई को शक है कि बेनामी प्रॉपर्टी 1000 करोड़ की हो सकती है. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि इस ज़मीन पर पटना का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल बनाया जा रहा था. इस मॉल को बाद में ईडी ने अटैच कर लिया था.

 

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