महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं.
बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर तमाम पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दे रखा है. खिलाड़ियों को इस विरोध प्रदर्शन में कई राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिला है, लेकिन समाजवादी पार्टी ने अब तक इस मुद्दे से दूरी बना रखी है. चलिए आपको बताते हैं क्या है इसके पीछे की वजह.
सपा उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल है, जहां से बृजभूषण कैसरगंज के बीजेपी सांसद हैं. सपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल पहलवानों का समर्थन करने वाली पार्टियों में से एक है. वहीं, इस मुद्दे पर सपा की हिचकिचाहट ने यूपी के राजनीतिक गलियारों में कई सवालों को पैदा करने का काम किया है क्योंकि इस तरह का विवाद पार्टी के लिए राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खोलने का अवसर है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव दोनों ने बृजभूषण पर टिप्पणी नहीं करने का विकल्प चुनते हुए कहा है कि मामले में “न्याय किया जाना चाहिए”.
बृजभूषण के यादव परिवार से अच्छे रिश्ते
सपा के सूत्रों ने बताया कि बृजभूषण विवाद को लेकर पार्टी प्रवक्ताओं को टीवी डिबेट में हिस्सा नहीं लेने का निर्देश मिला है. हालांकि, बात यह भी हो सकती है कि बृजभूषण के पूर्व में सपा के साथ राजनीतिक संबंध रहे हैं. उन्होंने 2009 का लोकसभा चुनाव सपा के टिकट पर लड़ा और जीत हासिल की थी. वह 2014 में बीजेपी में शामिल हुए थे, लेकिन सपा सूत्रों ने दावा किया कि उन्होंने यादव परिवार के साथ संबंध बनाए रखे हैं. नाम न छापने की शर्त पर सपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि बृजभूषण सिंह के यादव परिवार के साथ अच्छे संबंध हैं.
क्या बीजेपी छोड़ सकते हैं बृजभूषण सिंह?
उन्होंने बताया कि नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अलावा हाल ही में बृजभूषण के दल बदलने की अटकलें भी तेज हुई हैं. माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें अगले साल लोकसभा चुनाव में टिकट देने से इनकार कर सकती है. ऐसे में उनके सपा में शामिल होने के कयास भी लगाए जा रहे हैं क्योंकि उनकी अवध क्षेत्र पर मजबूत पकड़ है. वह कैसरगंज, गोंडा, बलरामपुर और अयोध्या की लोकसभा सीटों पर मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं.