बिहार में शराबबंदी की सच्चाई और पुलिस की नाकामी: पटना सड़क हादसा एक सबूत

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बिहार में शराबबंदी की सच्चाई और पुलिस की नाकामी: पटना सड़क हादसा एक सबूत

बिहार में 2016 से लागू शराबबंदी कानून सरकार की सबसे बड़ी नीतिगत घोषणाओं में से एक रही है। लेकिन क्या यह वास्तव में सफल है? हाल ही में पटना के जगदेव पथ पर हुए दर्दनाक सड़क हादसे ने एक बार फिर इस कानून की विफलता को उजागर कर दिया है।

कैसे हुआ हादसा?

पटना के जगदेव पथ पर एक सफारी गाड़ी ने तेज रफ्तार में ऑटो और बाइक सवारों को कुचल दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गाड़ी का ड्राइवर नशे में था, जिसके कारण उसने नियंत्रण खो दिया। इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। मौके पर मौजूद पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव ने खुद घायलों की मदद की और प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए।

बिहार में शराबबंदी की असलियत नीतीश कुमार सरकार ने 2016 में शराबबंदी लागू की थी, जिसका उद्देश्य था कि नशे से मुक्त बिहार का निर्माण किया जाए। लेकिन हकीकत यह है कि अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।

1. अवैध शराब माफिया का बढ़ता जाल

बिहार के हर जिले में अवैध शराब की तस्करी हो रही है। जहरीली शराब पीने से आए दिन मौतों की खबरें आती हैं। पड़ोसी राज्यों से शराब की सप्लाई बदस्तूर जारी है।

2. पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत

शराब तस्करों और पुलिस के बीच सांठगांठ कोई नई बात नहीं। पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर समेत कई शहरों में धड़ल्ले से शराब बिक रही है।

कई पुलिसकर्मी खुद नशे में पाए जाते हैं।

3. सरकारी सिस्टम की नाकामी

शराबबंदी के बावजूद बड़ी संख्या में शराबियों का सड़क पर दिखना आम बात है।

इस कानून के नाम पर गरीबों और दलितों को ज्यादा परेशान किया जाता है, जबकि असली शराब माफिया मजे में हैं। बिहार पुलिस: कानून व्यवस्था की धज्जियां

पटना हादसे ने सिर्फ शराबबंदी की नाकामी ही नहीं, बल्कि बिहार पुलिस की लचर व्यवस्था को भी बेनकाब कर दिया।

1. हादसे रोकने में विफलता

पटना जैसे बड़े शहर में भी सड़क सुरक्षा की स्थिति बेहद खराब है।

शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती।

पुलिस ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने में नाकाम रही है।

2. क्राइम कंट्रोल में फेल

बिहार में अपराध की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

शराबबंदी के बावजूद शराब से जुड़े अपराध नहीं रुके।

पुलिस प्रशासन भ्रष्टाचार में लिप्त है।

3. आम जनता की सुरक्षा पर सवाल

पुलिस का रवैया आम जनता के प्रति असंवेदनशील है।

जब कोई वीआईपी आता है, तभी सुरक्षा चाक-चौबंद होती है।

हादसे के बाद पुलिस की सुस्त कार्रवाई पर लोग सवाल उठा रहे हैं।

पटना हादसा: प्रशासन के लिए सबक

यह हादसा हमें बताता है कि शराबबंदी सिर्फ कागजों पर है। सरकार और प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा।

समाधान क्या है?

1. अवैध शराब के खिलाफ सख्त कार्रवाई

2. पुलिस और प्रशासन में पारदर्शिता लाना

3. रोड सेफ्टी नियमों को सख्ती से लागू करना

4. जनता को भी जागरूक करना

पटना के इस दर्दनाक हादसे ने शराबबंदी की असलियत और बिहार पुलिस की नाकामी को उजागर कर दिया है। यह वक्त है कि सरकार सिर्फ कानून बनाकर न बैठी रहे, बल्कि इसे जमीनी स्तर पर लागू भी करे। वरना ऐसी घटनाएं होती रहेंगी और निर्दोष लोग अपनी जान गंवाते रहेंगे।

 

 

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