बिहार में अपराध: 2024-25 में दहशत, दरिंदगी और प्रशासन की परीक्षा
रिपोर्टर: तनवीर आलम शेख,
स्थान: पटना, बिहार
बिहार में एक साल के भीतर जो कुछ हुआ, उसने आम जनता की नींदें उड़ा दी हैं। हर जिले से हत्या, लूट, अपहरण, बलात्कार, गैंगवार, जहरीली शराब से मौतें और पुलिसिया विफलताओं की खबरें आती रहीं। राज्य सरकार चाहे कुछ भी कहे, मगर जमीनी हकीकत डराने वाली है।
बिहार के नालंदा से दरभंगा, भोजपुर से समस्तीपुर, बेगूसराय से मधुबनी तक – पूरे राज्य में आम नागरिकों की जान की कोई गारंटी नहीं रह गई है। आइए, आपको 2024-25 में बिहार की अपराध डायरी दिखाते हैं – आँकड़ों, रिपोर्ट्स और जमीनी सच्चाइयों के साथ।
बिहार अपराध रिपोर्ट कार्ड (2024-25)
अपराध की श्रेणी | दर्ज केस (2023) | दर्ज केस (2024) | % बदलाव |
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हत्या | 3,210 | 3,940 | +22.7% |
लूट | 2,750 | 3,101 | +12.8% |
बलात्कार | 1,840 | 2,120 | +15.2% |
अपहरण | 5,670 | 6,500 | +14.6% |
जहरीली शराब से मौत | 72 | 111 | +54.2% |
पुलिस एनकाउंटर | 9 | 5 | -44.4% |
(स्रोत: बिहार पुलिस अपराध शाखा और स्वतंत्र मीडिया रिपोर्ट)
1. हत्या की वारदातें: नालंदा, भोजपुर और बेगूसराय में कहर
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नालंदा: पंचायत में विवाद के दौरान बीच सभा में ताबड़तोड़ गोलियां चलीं। एक व्यक्ति की मौत, दो घायल।
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भोजपुर: युवक की पीट-पीटकर हत्या – कारण सिर्फ इतना कि उसने मंच पर नाच देखने की जिद की थी।
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बेगूसराय: दोस्त ने घर बुलाकर गोली मार दी। शव को रेलवे ट्रैक पर फेंका गया।
इन वारदातों से यह साफ है कि बिहार में हत्या अब एक आम घटना बन चुकी है। हत्या के बाद ना पुलिस का डर है, ना कानून का खौफ।
2. लाशें और पहचान छुपाने की साजिश
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दरभंगा: गायब युवक की क्षत-विक्षत लाश बरामद। चेहरे को तेजाब से जलाया गया ताकि पहचान न हो सके।
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समस्तीपुर: अपहरण के बाद युवक की हत्या, फिर शव नदी में फेंका गया।
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शिवहर: किशोर का अपहरण और हत्या – फिरौती मांगने के बाद हत्या कर दी गई।
हर जिले से ऐसी लाशों की खबरें आईं जिन्हें पहचान पाना भी मुश्किल हो रहा है।
3. जहरीली शराब: मौत की ठंडी बोतल
राज्य सरकार ने भले ही शराबबंदी लागू की हो, लेकिन हकीकत यह है कि अवैध शराब का कारोबार फुल फॉर्म में चल रहा है:
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छपरा, गोपालगंज, सिवान: तीन जिलों में एक ही हफ्ते में 30 मौतें।
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अरवल: तीन लोगों की आंखों की रोशनी गई।
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मुजफ्फरपुर: छह की मौत, पुलिस ने FIR तक दर्ज नहीं की।
हर बार की तरह प्रशासन ने जांच कमेटी बना दी, लेकिन दोषी कौन? कोई नहीं जानता।
4. मादक पदार्थ तस्करी: मधुबनी का नया रूट
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मधुबनी: 45 लाख की प्रतिबंधित दवाएं जब्त।
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सीतामढ़ी: नेपाल सीमा के रास्ते हेरोइन की तस्करी।
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पूर्णिया: कॉलेज छात्र 2 किलो चरस के साथ गिरफ्तार।
बिहार अब नशे का नया गलियारा बन रहा है – स्कूल-कॉलेज के छात्र भी इसमें शामिल हो रहे हैं।
5. बैंक डकैती और बड़ी लूटें
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समस्तीपुर: बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 5 करोड़ के गहने और 15 लाख नकद की लूट।
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बक्सर: दिनदहाड़े ज्वेलरी शॉप से 75 लाख की डकैती।
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पटना: पेट्रोल पंप से 14 लाख की लूट, सीसीटीवी में चेहरे साफ।
बिहार की डकैतियां अब फिल्मी सीन जैसी हो गई हैं – हथियार, गाड़ियाँ, और पुलिस को चकमा।
6. पुलिस की भूमिका: आरोपों के घेरे में
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कई मामलों में FIR नहीं हुई, या जानबूझकर गलत धाराएं लगाई गईं।
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दरभंगा, आरा, नवादा में पुलिस पर अपराधियों को बचाने के आरोप।
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कई जगहों पर जनता ने खुद सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया।
बिहार पुलिस पर लोगों का भरोसा कमजोर हो रहा है, और इसका सीधा फायदा अपराधियों को हो रहा है।
7. जनता का आक्रोश: विरोध और सड़क पर प्रदर्शन
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आरा में हत्या के बाद सैकड़ों लोग शव के साथ सड़क जाम किए।
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बेगूसराय में गोलीबारी के बाद भीड़ ने थाने का घेराव किया।
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नालंदा में प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।
लोगों का कहना है कि “अब डर कर जीना पड़ रहा है। घर से निकलना खतरे से खाली नहीं।”
8. निष्कर्ष: बिहार का बिगड़ता लॉ एंड ऑर्डर
2024-25 का साल बिहार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि अपराध घटा है, दूसरी तरफ हर दिन कोई न कोई सनसनीखेज वारदात अखबार की हेडलाइन बन रही है।
बिहार में अब सिर्फ ‘रिपोर्ट दर्ज’ हो रही है, ‘न्याय’ नहीं मिल रहा। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और जनता में डर बढ़ता जा रहा है।
सुझाव और समाधान
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समानांतर अपराध समीक्षा आयोग गठित हो।
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हर जिले में फास्ट-ट्रैक कोर्ट स्थापित हों।
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पुलिस सुधार को प्राथमिकता दी जाए।
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CCTV नेटवर्क और डिजिटल निगरानी बढ़ाई जाए।
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गांव स्तर पर खुफिया नेटवर्क मजबूत किया जाए।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)
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