पहलगाम आतंकी हमले के बाद देशभर में उठा एक सुर: आतंकवाद को धर्म से जोड़ना गलत

30

रिपोर्टर तनवीर आलम शेख

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ भारत को झकझोर दिया, बल्कि एक बार फिर यह प्रश्न उठाया कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। इस वीभत्स घटना के बाद देशभर के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों से एक समान स्वर सुनाई दिया — आतंकवाद मानवता का शत्रु है और इसे किसी धर्म, जाति या संप्रदाय से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों ने अपनी जान गंवाई, कई परिवार बर्बाद हो गए, और देश एक बार फिर दुःख व आक्रोश में डूब गया। हमले का विवरण घटना दोपहर के समय की है जब पर्यटक और स्थानीय लोग पहलगाम के एक व्यस्त बाजार क्षेत्र में खरीदारी कर रहे थे। तभी आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षाबलों के तुरंत कार्रवाई के बावजूद हमलावरों ने बड़ी संख्या में लोगों को निशाना बनाया। सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में दो आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि तीन आतंकी भागने में सफल रहे। इस हमले की जिम्मेदारी एक कट्टर आतंकी संगठन ने ली है, जिसका मुख्यालय पाकिस्तान में है।राजनीतिक जगत की प्रतिक्रियाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के तुरंत बाद ट्वीट कर कहा,भारत इस हमले को कभी नहीं भूलेगा। हम शहीदों के परिवारों के साथ खड़े हैं और आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई और तेज होगी।गृहमंत्री अमित शाह ने कहा,देश के दुश्मनों को उनकी भाषा में जवाब दिया जाएगा। आतंकवाद को जड़ से समाप्त करना हमारा संकल्प है।”मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा,भारत अब पहले जैसा नहीं रहा। जो भी भारत की शांति को भंग करेगा, उसे करारा जवाब दिया जाएगा।”

धार्मिक संगठनों का बयान: आतंकवाद इस्लाम के खिलाफ

घटना के बाद देश के बड़े मुस्लिम संगठनों ने भी खुलकर आतंकवाद के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट किया।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने तीव्र शब्दों में कहा आतंकवाद इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है। निर्दोषों की हत्या करने वाले जानवर से भी बदतर हैं। इस त्रासदी को धार्मिक रंग देना भी गलत है। हमें याद रखना चाहिए कि स्थानीय कश्मीरियों ने भी पीड़ितों की जान बचाने में अपना फर्ज निभाया, धर्म की परवाह किए बिना। ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी ने अपने संदेश में कहा: “हम भारत के मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ हैं। आतंकियों को भारत की पवित्र भूमि पर दफनाने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए।”कर्नाटक के मुस्लिम संगठनों की एकजुटता कर्नाटक के विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर प्रधानमंत्री मोदी के कदमों का समर्थन किया। उनका कहना था:“आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। हम सरकार की आतंकवाद विरोधी नीति के साथ हैं। देश के हर नागरिक का जीवन मूल्यवान है।”

हर्षवर्धन बजपई का साहसी बयान

भारतीय जनता पार्टी के विधायक हर्षवर्धन बजपई ने इस संवेदनशील समय में एक अत्यंत संतुलित और सकारात्मक बयान दिया।

उन्होंने कहा:“भारतीय मुसलमानों की तुलना पाकिस्तानी मुसलमानों से नहीं करनी चाहिए। भारत के मुसलमान हमारे अपने भाई हैं। उन्हें आतंकवाद से जोड़ना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि राष्ट्र की एकता के लिए भी हानिकारक है।”

बजपई ने आगे स्पष्ट किया कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है और इसे किसी एक धर्म के साथ जोड़ना बहुत गलत है। उनके इस बयान की सभी वर्गों ने सराहना की।

सोशल मीडिया पर हर्षवर्धन बजपई का बयान वायरल हो गया।लाखों लोगों ने इसे शेयर करते हुए कहा कि “आज देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो नफरत नहीं, बल्कि भाईचारे की बात करें।”ट्विटर पर #IndianMuslimsNotTerrorists और #WeStandTogether ट्रेंड करने लगे।

युवा वर्ग, धार्मिक गुरुओं और आम नागरिकों ने इस पहल का स्वागत किया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के साथ सहानुभूति

संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और अन्य प्रमुख देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा:“आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है, और भारत के साथ पूरी दुनिया खड़ी है।”सवाल उठते हैं: आतंकवाद की जड़ें कब काटी जाएंगी?

यह सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है कि आखिर आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए अब क्या ठोस रणनीति अपनाई जाए? केवल हमलों की निंदा करना काफी नहीं है। जरूरत है सामूहिक इच्छाशक्ति की — सरकार, विपक्ष, धार्मिक नेता, सामाजिक संगठन और आम नागरिकों की एकता की।

जनता की भावना

हमले के बाद देशभर में कैंडल मार्च निकाले गए। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, लखनऊ, पटना समेत कई शहरों में आम नागरिकों ने आतंकवाद के खिलाफ प्रदर्शन किए।

लोगों ने नारे लगाए

भारत एक है, आतंकवादियों का नाश हो।”धर्म के नाम पर हिंसा नहीं चलेगी।“नफरत नहीं, भाईचारा चाहिए।”

कश्मीर के स्थानीय मुसलमानों का सराहनीय योगदान

हैरान करने वाली बात यह रही कि हमले के समय स्थानीय कश्मीरियों ने घायलों की जान बचाने में पूरी मदद की। कई मुस्लिम युवाओं ने अपने वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया।यह दर्शाता है कि आतंकवादियों का धर्म से कोई लेना-देना नहीं होता; वे केवल मानवता के दुश्मन होते हैं।

केंद्र सरकार ने हमले की जांच के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया है। साथ ही आतंकी संगठनों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और बड़ी सैन्य कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है।

गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को भी सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।पहलगाम आतंकी हमला एक बार फिर हमें यह सिखाता है कि आतंकवाद का मुकाबला एकजुट होकर करना होगा।

हर्षवर्धन बजपई जैसे नेताओं के विचार, मुस्लिम संगठनों का आतंकवाद के खिलाफ स्टैंड, और आम जनता का भाईचारा — ये सब मिलकर एक शक्तिशाली संदेश देते हैं: भारत आतंकवाद से डरेगा नहीं, बल्कि उसे हराएगा।

आज जरूरत है उस एकता की, जो धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्रीयता से ऊपर उठे। तभी हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर पाएंगे, जहां शांति, प्रेम और भाईचारा सर्वोपरि होगा।

रिपोर्टर: तनवीर आलम शेख

एजेंसी: एशियन टाइम्स / स्पेशल रिपोर्ट

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here