फुलवारी, बिहार | एशियन टाइम्स ब्यूरो
फुलवारी थाना क्षेत्र में कोर्ट के स्पष्ट स्टे आदेश के बावजूद कुछ प्रभावशाली लोगों द्वारा जमीन पर अवैध निर्माण कार्य खुलेआम जारी है। स्थानीय लोगों और पीड़ित पक्ष ने पुलिस और माफिया के बीच मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं।
इस मामले में मुख्य रूप से रफ़ीक आलम और उनसे जुड़े स्थानीय माफिया तत्वों का नाम सामने आ रहा है। ये लोग कोर्ट और प्रशासन की अनदेखी करते हुए लगातार निर्माण कार्य करा रहे हैं।
कोर्ट के स्टे आदेश को नजरअंदाज कर निर्माण जारी
प्राप्त जानकारी के अनुसार, विवादित भूमि पर न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से स्थगन आदेश (Stay Order) पारित किया गया है। इसके बावजूद, अवैध निर्माण कार्य पहले भी चलता रहा और अब भी तेज़ी से जारी है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार प्रशासन और थाना को इस अवैध गतिविधि की जानकारी दी गई, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
फुलवारी थाना और पुलिस पर गंभीर आरोप
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि फुलवारी थाना को इस अवैध निर्माण की पूरी जानकारी है। यहां तक कि डीएसपी स्तर के अधिकारी द्वारा भी निर्माण रोकने के निर्देश दिए गए थे। फिर भी थाना स्तर पर किसी तरह की कठोर कार्रवाई नहीं की गई।
पीड़ितों का यह भी कहना है कि पुलिस और स्थानीय माफिया के बीच सांठगांठ है। आरोप लगाया गया कि थाना स्तर पर घूसखोरी और राजनीतिक संरक्षण का खेल चल रहा है।
पीड़ित पक्ष ने क्या कहा?
“हमने थाना में कई बार शिकायत दी। कोर्ट में स्टे भी लगा है। डीएसपी साहब ने भी काम रोकने को कहा, फिर भी ये लोग लगातार निर्माण करवा रहे हैं। जब हम थाना गए तो कहा गया कि दूसरी पार्टी को बुलाया गया है, लेकिन असल में वहाँ भी सांठगांठ है। थाना वालों ने पैसा लिया है।”
पीड़ित पक्ष का कहना है कि वह काफी समय से थाना और प्रशासन के चक्कर काट रहा है, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हो रही। उनकी स्पष्ट मांगें हैं:
अवैध निर्माण को तुरंत प्रभाव से रुकवाया जाए।
कोर्ट के स्टे आदेश का पालन कराया जाए।
अवैध निर्माण कार्य में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
फुलवारी थाना में पुलिस की मिलीभगत की उच्च स्तरीय जांच हो।
थाना स्तर पर हुई लापरवाही के जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाए।
पीड़ित पक्ष की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, क्योंकि उन्हें धमकियों का भी सामना करना पड़ रहा है।प्रशासनिक निष्क्रियता पर उठे सवाल
यह पूरा मामला दर्शाता है कि किस प्रकार स्थानीय प्रशासनिक तंत्र और पुलिस विभाग की निष्क्रियता या मिलीभगत के कारण आम नागरिकों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
न्यायालय की अवमानना (Contempt of Court) जैसे गंभीर मामले में भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।

Author: Bihar Desk
मुख्य संपादक (Editor in Chief)