दुःखद : हिंदी में फेल होने पर सजा-ए-मौत! शिक्षक ने इतना मारा कि मर गया मासूम, दर-दर भटकता रहा बाप

492

ग्रेटर नोएडा के एक स्कूल में टीचर की पिटाईसे छात्र की मौत का मामला है.

यह वारदात बादलपुर थाना क्षेत्र के महावर स्थित कैप्टन सांवरिया पब्लिक स्कूल का है. आरोप है कि बुरी तरह जख्मी छात्र को स्कूल प्रबंधन ने अस्पताल पहुंचाने के बजाय काफी देर से परिजनों को सूचित किया. वहीं परिजन बच्चे के इलाज के लिए एक से दूसरे अस्पताल के चक्कर काटते रहे. आखिरकार दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में बच्चे की मौत हो गई. इस संबंध में बच्चे के मां ने पुलिस में आरोपी टीचर के अलावा प्रिंसिपल, स्कूल प्रबंधन और बाकी स्टॉफ के खिलाफ तहरीर दी है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

बच्चे के पिता देवव्रत ने बताया कि उनका 12 साल का बच्चा छठीं कक्षा में पढ़ाई करता था. सात अक्टूबर की सुबह करीब सात बजे वह खुद बच्चे को स्कूल छोड़ कर आए थे. लेकिन करीब एक बजे उन्हें स्कूल प्रबंधन ने सूचना दी कि बच्चा स्वास्थ्य नहीं है. वह तुरंत स्कूल पहुंचे तो देखा कि उनका बेटा बेहोश पड़ा है. उसने अपने पूरे शरीर पर उल्टियां की है. ऐसी हालत में भी स्कूल प्रबंधन बच्चे को अस्पताल पहुंचाने के बजाय उनका इंतजार कर रहा था. उन्होंने बताया कि वह तुरंत बच्चे को लेकर नजदीकी अस्पताल पहुंचे, जहां से सिर में चोट की बात कहकर रैफर कर दिया गया. फिर वह दादरी के अस्पताल गए. यहां से दिल्ली के सफरजंग, राम मनोहर लोहिया और जीबी पंत अस्पताल गए, लेकिन डॉक्टरों ने भर्ती ही नहीं किया. आखिर में देर रात करीब नौ बजे उनके बच्चे ने लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में दम तोड़ दिया.

टीचर की मारपीट से बेहोश हुआ था बच्चा

देवव्रत ने बताया कि उन्होंने स्कूल में अपने बेटे के साथियों और अन्य बच्चों से पूछताछ की तो पता चला कि हिन्दी टीचर शोभरन की मारपीट से उनके बेटे की ऐसी हालत हुई है. दरअसल हिन्दी टीचर ने उस दिन टेस्ट लिया था. इसमें सात आठ छात्र फेल हो गए थे. इनमें प्रिंस भी शामिल था. इसलिए टीचर ने उसकी पिटाई की. उन्होंने बताया कि उनके बेटे की छाती, जंघा, पीठ के अलावा सिर में गंभीर चोटें थी. उनके बेटे को बुरी तरह और बर्बरता पूर्वक पीटा गया था.

स्कूल प्रबंधन ने बच्चे को बीमार बताया

स्कूल प्रबंधन ने बच्चे के साथ मारपीट की बात को खारिज किया है. कहा कि बच्चा जब स्कूल पहुंचा तो उस समय वह पहले से बीमार था. हालांकि बच्चे के पिता देवव्रत ने बताया कि बच्चा बीमार होता तो वह स्कूल ही नहीं भेजते. बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था. मामला तूल पकड़ने पर स्कूल संचालक राजबीर नागर सामने आए. उन्होंने कहा कि मामले की जांच में पुलिस को पूरा सहयोग दे रहे हैं. वह खुद भी चाहते हैं कि पूरा मामला सामने आए.

डॉक्टरों ने दिखाई संवेदनहीनता

बच्चे के पिता देवव्रत ने बताया कि वह बुरी तरह से जख्मी बच्चे को लेकर अस्पताल दर अस्पताल घूमते रहे. दादरी के नवीन अस्पताल में सीटी स्कैन के बाद पता चला कि उसके ब्रेन में ब्लीडिंग हो रही है. ऐसे में वह तत्काल बच्चे को लेकर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां डॉक्टरों ने भर्ती लेने से मना कर दिया. इसके बाद वह राम मनोहर लोहिया और फिर जीबी पंत अस्पताल गए, वहां भी उनके बच्चे को भर्ती नहीं किया गया. आखिर में वह रात के नौ बजे जब एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे तो पता चला कि उनके बच्चे की मौत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की संवेदनहीनता की वजह से बच्चे की मौत हुई है.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही पुलिस

पुलिस ने बताया कि छात्र की मां मीनाक्षी की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है. आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. इसी के साथ आरोपी टीचर की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की चार टीमों का गठन किया गया है. एसीपी सेकंड सेंट्रल नोएडा अरविंद कुमार ने बताया कि इस मामले में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि सूचना मिलने पर वह खुद बच्चे को देखने अस्पताल गए थे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here